फसल अवशेष व गोबर के बेहतर प्रबन्धन से कृषक तैयार करें ब्लैक गोल्ड: डीएम, 
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज-2 प्रशिक्षण कार्यक्रम का डीएम ने किया शुभारम्भ 





बहराइच 11 मई। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज-2 के अन्तर्गत ग्रामों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट (एस.एल.डबलू.एम.) प्रबन्धन कर ओ.डी.एफ. प्लस ग्राम बनाने हेतु कार्य योजना का निर्माण, क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण के उद्देश्य से पंचायत राज विभाग द्वारा विकास खण्डो के रिर्साेस ग्रुप के 02 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य अतिथि जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 02 चरणों प्रथम चरण में 11 व 12 तथा द्वितीय चरण में 13 व 14 मई को सम्पन्न होगा।
पंचायत उद्योग सभागार बहराइच में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डीएम ने कहा कि स्वच्छता अभियान कार्यक्रम केन्द्र व राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। डॉ. चन्द्र ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-1 के अन्तर्गत समस्त ग्रामों को व्यक्तिगत शौचालय की सुविधा से आच्छादित कर खुले में शौचमुक्त कर ओ.डी.एफ. ग्राम घोषित किया जा चुका है। जबकि पुनः स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज-2 के अन्तर्गत ग्रामों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट (एस.एल.डब्लू.एम.) प्रबन्धन कर ओ.डी.एफ. प्लस ग्राम बनाने का लक्ष्य है। 
डीएम डॉ. चन्द्र ने कहा कि ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबन्धन से ग्रामों में स्वच्छ घर, स्वच्छ परिवेश से स्वच्छ प्रदेश एवं स्वच्छ भारत का सपना साकार हो सकेगा। डीएम ने कहा कि इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ज़रूरी है कि हम सभी लोग छोटे-छोट क्रिया कलापों को ध्यान में रख कर कार्य करें। डीएम ने कहा कि स्वच्छता के लिए ज़रूरी है कि हम सिंगल यूज़ प्लास्टिक का बहिष्कार और ऐसा भाव पैदा करें कि लोग स्वतः से इसका बहिष्कार कर दें। उन्होंने कहा कि हमें प्रत्येक परिवार को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग कर व्यवस्थित करना सीखना होगा। ऐसा होने से तत्काल 50 प्रतिशत गंदगी स्वतः समाप्त हो जायेगी। 
डीएम डॉ. चन्द्र ने कहा कि कूड़ा निस्तारण का सबसे उपयुक्त एवं कारगर उपाय कम्पोस्ट खाद का निर्माण है। इससे ‘‘आम के आम और गुठलियों के दाम’’ की कहावत चरितार्थ होगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के गोबर जो इधर-उधर अथवा नाली में बहा दिया जाता है। जबकि हम उसे संरक्षित कर अच्छी गुणवत्ता की खाद (ब्लैक गोल्ड) बना सकते है। प्रशिक्षण में मौजूद कार्मिकों का डीएम ने आहवान किया कि लोगों को इस बात के लिए जागरूक किया जाय कि फसल के अपशिष्ट कतई जलाये नहीं इससे पर्यावरण का नुकसान, भूमि उर्वरा शक्ति के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जबकि उचित प्रबन्धन से इन हानियों से बचा भी जा सकता है और अतिरिक्त आय भी अर्जित की जा सकती है। 
मुख्य विकास अधिकारी कविता मीना ने प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि आप अभी नई ऊर्जा से ओत प्रोत हैं और इसी ऊर्जा के साथ ग्राम की वास्तविक आवश्यकता का आंकलन करते हुए कार्य योजना तैयार करायें। क्योंकि बिना किसी कार्ययोजना के सही अंजाम तक नहीं पहुॅचा जा सकता। सीडीओ ने यह भी निर्देष दिया कि ग्रामीण क्षेत्र में संचालित स्कूलों में माहवारी स्वच्छता प्रबन्धन हेतु इन्सीनरेटर की स्थापना भी अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जाय।  
जिला पंचायत राज अधिकारी उमाकान्त पाण्डेय ने कार्यशाला के उद्देश्य के सम्बन्ध में अवगत कराया कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-1 के अन्तर्गत समस्त ग्रामों को व्यक्तिगत शौचालय की सुविधा से आच्छादित कर खुले में शौचमुक्त ग्राम (ओ.डी.एफ. ग्राम) के रूप में घोषित किया जा चुका है। पुनः स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज-2 के अन्तर्गत ग्रामों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट (एस.एल.डबलू.एम.) प्रबन्धन कर ओ.डी.एफ. प्लस ग्राम बनाने का कार्य किया जायेगा, जिसमें वित्तीय वर्ष 2021-22 हेतु 54 राजस्व गांव एवं वित्तीय वर्ष 2022-23 हेतु 130 राजस्व गावों का चयन राज्य स्तर से किया गया है। इन्हीं चयनित ग्रामों में प्रथम चरण में एस.एल.डब्लू.एम. का कार्य कराया जायेगा। 
यूनिसेफ के मण्डलीय प्रतिनिधि अनुराग सिंह जादौन, डी.पी.आर.सी. श्रावस्ती के सीनियर फैकेल्टी बृजेश पाण्डेय, डी.पी.सी. पंकज शर्मा व अभिषेक सिंह, अपर जिला पंचायत राज अधिकारी राम शंकर वर्मा, ग्राम पंचायत अधिकारी प्रवीण श्रीवास्तव, पाटेश्वर प्रताप सिंह, प्रशान्त श्रीवास्तव व अन्य द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षित किया गया। 
                          

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