औरैया // महोबा शहर के नयापुरा नैकाना निवासी जगपत यादव की 22 वर्षीय बेटी अंकिता का वजन लगातार घट रहा था मंडल मुख्यालय सहित कानपुर, झांसी व पड़ोसी जनपद छतरपुर के डॉक्टर्स से इलाज करवाया लेकिन फायदा नहीं हुआ बेटी का वजन 39 किलो रह गया तभी उनके दोस्त ने होम्योपैथी अस्पताल में दिखाने की सलाह दी होम्योपैथिक इलाज से अब उसका 44 किलो हो गया अब वह दूसरों को भी होम्योपैथी से इलाज की सलाह देने लगे हैं यह जानकारी दी जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. नीलेंद्र निगम ने दी डॉ. निगम विश्व होम्योपैथी दिवस के एक दिन पूर्व शनिवार को होम्योपैथी विधा के बारे में बता रहे थे उन्होंने बताया कि होम्योपैथी के जन्मदाता जर्मन मूल के फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन के जन्मदिन 10 अप्रैल को हर साल विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है डा. निगम ने बताया कि जनपद में जिला अस्पताल सहित 11 डिस्पेंसरी संचालित हैं यहाँ पिछले एक साल में कुल 52,135 मरीजों का इलाज किया गया है इसमें ग्रामीण चिकित्सालयों के 40,909 और जिला अस्पताल के 11226 मरीज शामिल हैं जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी बताते हैं कि महामारी में होम्योपैथिक दवाई न केवल उपचार करती है बल्कि रोग से कैसे बचाव में भी सहायक भूमिका निभाती है होम्योपैथी में मिजल्स, कालरा, मलेरिया, टीबी, दिमागी बुखार, डेंगू, स्वाइन फ्लू, प्लेग जैसे खतरनाक रोगों के लिए भी प्रभावी उपचार है इसके साथ ही महिलाओं और बच्चों को देखते हुए यह पद्धति कहीं अधिक सौम्य व सुरक्षित है। निमोनिया, श्वांस, खसरा व चिकनपॉक्स जैसे रोगों के लिए यह कारगर है व्यसनों दुष्प्रभाव रोकथाम में सहायक डा. निगम कहते हैं कि शराब, सिगरेट, तंबाकू की लत जैसी मादक पदार्थों के प्रयोग से उत्पन्न होने वाली विकृतियों एवं समस्याओं के समाधान में होम्योपैथिक पूरी तरह से कारगर है इसके अलावा यह एक सहज, सरल, सस्ती और प्रमाणित चिकित्सा पद्धति है यह भी कहा जा सकता है कि होम्योपैथी भविष्य का विज्ञान है और चिकित्सा चुनौतियों का सस्ता और विश्वसनीय विकल्प है।

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