आईवीएफ के जरिये सूनी गोद भरने के नाम पर 53 महिलाओं से धोखाधड़ी के मामले में परत दर पतर खुलती जा रही है। दिल्ली की कथित जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मनिका खन्ना ने सीएमओ ऑफिस से अल्ट्रासाउंड, एक्सरे के लिए पीसीपीएनडीटी (प्री कंसेप्शन एंड प्री नेटल डायगोनेस्टिक टेक्निक एक्ट) का लाइसेंस लिया था। इसी के नाम पर वहां आईवीएफ सेंटर भी संचालित हो रहा था। हैरानी की बात है कि स्वास्थ्य विभाग को इसका पता भी नहीं चल पाया। जब लोगों ने तहरीर दी तो करीब तीन महीना पहले स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू की थी। जांच पूरी होने के बाद मुकदमा दर्ज हुआ।
डॉ. मनिका खन्ना सीएमओ कार्यालय से करीब पांच साल पहले पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड और एक्सरे के लिए लाइसेंस लिया था। इसी लाइसेंस पर ही वह आईवीएफ सेंटर चलाती रहीं। इस दौरान उन्होंने लोगों से पैसा लिये, लेकिन किसी को भी बच्चा नहीं हुआ। इसके बाद करीब दो साल पहले उन्होंने अपना लाइसेंस सरेंडर कर दिया था। डॉ. मनिका खन्ना ने 22 सितंबर 2021 को पांडेयपुर स्थित सेंटर ही बंद करा दिया था। आईवीएफ सेंटर चलाने के लिए सीएमओ कार्यालय से नर्सिंग केयर का रजिस्ट्रेशन लेना होता है। इसके बाद पीसीपीएनडीटी का लाइसेंस लेना होता है। डॉ. मनिका के पास पहले से ही पीसीपीएनडीटी का लाइसेंस था। उन्होंने इसी आधार पर ही आईवीएफ सेंटर शुरू कर दिया था। पीसीपीएनडीटी टीम भी हर साल निरीक्षण करने जाती है, लेकिन वे भी इसे पकड़ नहीं पाए। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
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