उतरौला(बलरामपुर)
मार्च महीने की शुरुआत से ही गर्मी ने अपना तल्ख तेवर दिखाना शुरू कर दिया था। अप्रैल शुरू होते ही धूप की तपिश और बढ़ने के साथ गर्मी एकाएक दोगुनी हो गई। इस बार भीषण गर्मी की हालात में रमजान के रोजेदारों का कड़ा इम्तिहान हो रहा है। 
कड़ी धूप एवं भीषण गर्मी ने लोगों को पसीने में तरबतर कर दिया। चिलचिलाती धूप में एक सेकेंड भी बाहर खड़ा होना मुहाल हो रहा है। रोजेदार सिर्फ नमाज की अदायगी या जरूरी कामकाज के लिए घरों से बाहर निकल रहे है। रोज़ेदारों के हलक दिन की शुरुआत में ही खुश्क हो जा रहे है। रोजेदारों ने गर्मी को मात दे रहे हैं। तपती धूप वह चिलचिलाती तापमान में सूरज की किरणें सीधे रोजेदारों के सरों पर आग बरसा रही हैं। इसके बावजूद भी रोजेदार रमजान के रोजे रखने व इबादत करने में डटे हुए हैं। 
पांच वक्त वह तरावीह की नमाज में मस्जिदों में नमाजियों का मजमा उमड़ रहा है। सबकी दुआ यही है कि ऐ परवरदिगार! इस गर्मी के आजमाइश वाले रमजान में हम सबको साबित कदम रखना। हाफिज दैयान रमजान की फजीलत बताते हुए कहते हैं कि गर्मी के इन दिनों में कोई अल्लाह की आजमाइश से मुंह नहीं मोड़े। सब रोजा रखें। इसका बड़ा सवाब है।

प्राइवेट चिकित्सक डॉक्टर एहसान खान बताते हैं कि रोजा रखने से इंसान के अंदर बीमारी से लड़ने की क्षमता पैदा होती है। इसे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कहते हैं। इसके जरिए इंसान बड़ी बड़ी बीमारी से मुकाबला कर लेता है। इसलिए रोजा जरूर रखना चाहिए। इसका बड़ा सवाब भी है।
उपवास रहना हमारे शरीर के लिए लाभदायक होता है। हमारे शरीर में उतनी ही ऊर्जा बनती है जिसकी हमारी शरीर को आवश्यकता होती है। हम आहार के माध्यम से यदि आवश्यकता से अधिक कार्बोहाइड्रेट और वसा प्राप्त करते हैं तो उसका कुछ अंश हमारे शरीर में सुरक्षित रहता है। रोजा या उपवास के समय को रात्रि में सोने के बाद यदि प्रातः काल से उपवास किया जाए तो धीरे धीरे आंत में आहार से प्राप्त कोई भी सामग्री अवशोषण हेतु शेष नहीं रहती है। उपवास की समयावधि बढ़ने के दौरान कंकाल पेशियां ग्लूकोज के बजाए वसा ऊतकों से प्राप्त वसीय अम्लों का उपयोग करने लगती हैं। शुरुआत में यकृत अपने ग्लाइकोजन भंडार से ग्लूकोज की पूर्ति करता है। इस भंडार के चुकने से पहले ही यकृत वसा और अमीनो अम्लों से ग्लूकोज बनाना शुरू कर देता है। 

*शरीर में जमा हानिकारक पदार्थों से मुक्ति दिलाता है रोजा*

व्रत रोजा या उपवास के माध्यम से हम अपने शरीर में जमा हुए हानिकारक पदार्थों से मुक्ति पाते हैं।
 उपवास के दौरान पाचन संबंधी अंगों को आराम मिलता है, जबकि शरीर को त्याज्य पदार्थों से मुक्त करने वाले अंग यकृत, गुर्दे, फेफड़े और त्वचा आदि शरीर के आतंरिक वातावरण को फिर से समस्थिति में लाने के लिए सक्रिय बने रहते हैं।
असग़र अली
उतरौला

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