दुनियावीं इच्छाओं को काबू में रखने का नाम है रोजा        





   उतरौला(बलरामपुर) रमजानुल मुबारक का महीना  एक ऐसा महीना है जिसके बारे में अल्लाह ने फरमाया कि यह मेरा महीना है और रोजेदार को रोजे का बदला मैं खुद दूंगा। 
यही वजह है कि तमाम रोजेदार इस माहे मुबारक में यह कोशिश करते हैं कि रोजे की हालत में उनसे कोई भी गुनाह न हो।
       मौलाना मुफ्ती जमील अहमद खां फरमाते हैं कि अल्लाह के रसूल ने फरमाया कि जो शख्स रोजा रखे लेकिन बुरे कामों व गलत चीजों से परहेज न करे तो उसके भूखे प्यासे रहने की कोई जरूरत नहीं।इससे यह बात साबित होती है कि अल्लाह‌ के दरबार में एक रोजेदार का रोजा कबूल होने के लिए यह लाजमी है कि इंसान खाना पीना छोड़ने के अलावा तमाम गैर इस्लामी ,गैर इंसानी और गैर शर‌ई कामों को छोड़ दे तभी उसे रोजे का पूरा फायदा और सवाब हासिल होगा।रोजे की हालत में किसी से भी लड़ाई झगड़ा करने और गुस्से को भी सख्ती से मना किया गया है।रोजे की हालत मे हर हाल मे इन तमाम मजहबी बातों‌ का ख्याल रखना और उस पर अमल करना हर रोजेदार के लिए बेहद जरूरी है।रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम‌ नही है बल्कि अपनी तमाम दुनियावी इच्छाओं को अपने काबू में रखने का नाम ही रोजा है ।
रोजे‌ का बड़ा सवाब है जैसा कि अल्लाह ने फरमाया है कि जो शख्स  अल्लाह से डरे और अपनी खुवाहिसात- ए- नफ्स से रूके उसका ठिकाना जन्नत है।
असग़र अली
उतरौला

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने