यूपी में जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाने की बड़ी तैयारी

भूगर्भ जल संरक्षण की दिशा में जनसहभागिता सुनिश्चित करने में तेजी से जुटी योगी सरकार

अटल भूजल योजना के तहत प्रदेश में चयनित 10 जनपदों के 26 विकासखंडों की 550 ग्राम पंचायतों में बैठक और प्रशिक्षण देने जा रही सरकार

गांव-गांव में जल समितियों के विस्तार के साथ जागरूकता के लिए उठाए जा रहे अनूठे कदम

कोई सरकार पहली बार जल संरक्षण पर कर रही इतना बड़ा काम

गांव-गांव में रेन वाटर हारवेस्टिंग पिट बनाएगी, बरसात से पहले करेगी तैयारी

सरकार के प्रयासों और जल जीवन मिशन की योजनओं से गांव-गांव बह रही बदलाव की बयार

लखनऊ। 07 अप्रैल

राज्य सरकार स्वच्छता मिशन की तरह ही जल संरक्षण को भी जन अंदोलन बनाने की बड़ी तैयारी में जुट गई है। इस कार्य में जनसहभागिता को बढ़ाने के लिए कई अनूठे कदम उठाने जा रही है। सबसे पहले उसने अटल भूजल योजना के तहत प्रदेश में चयनित 10 जनपदों के 26 विकासखंडों की 550 ग्राम पंचायतों में बैठकें ओर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश जारी किये हैं।

अपनी दूसरी पारी में योगी सरकार ने एक बार फिर से भूगर्भजल संरक्षण की योजनाओं को तेजी से प्रदेश में भर में विस्तार देने की तैयारी की है। नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। तय किया गया है कि युद्ध स्तर पर गांव-गांव जल संरक्षण की योजनाओं को पूरा कराने और लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रमों में तेजी लाई जाएगी। जल को बचाना और दोबार वो उपयोग में कैसे लाया जा सकता है इसपर भी लोगों को जागरूक किया जाएगा। इसके लिए बैठकों का आयोजन और लोगों को प्रशिक्षण देना जरूरी है। प्रदेश सरकार विभिन्न जिलों में जल संरक्षण के साथ शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करा रही है। खेत ताल योजना के तहत खेत का पानी खेत में और छत का पानी धरती में वापस जा सके उसपर भी तेजी से काम किया जा रहा है।

बता दें कि पिछले कार्यकाल में सरकार के प्रयासों और जल जीवन मिशन की योजनओं से गांव-गांव में चल रहे प्रयास रंग लाने लगे हैं। स्वच्छता मिशन की तरह जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाने की तैयारी की जा रही है। गांव-गांव में जल संरक्षण की योजनाओं का काम तेजी से पूरा कराया जा रहा है। जल समितियों का गठन और पाइपलाइनों से लीक होने वाले पानी के संरक्षण और रेन वॉटर हारवेस्टिंग पिट के निर्माण को भी युद्ध स्तर पर किये जाने की तैयारी है। जिससे बारिश के पानी का संरक्षण हो सके और संरक्षित पानी का दोबारा इस्तेमाल किया जा सके।

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