कौमार्य अवस्था तक “ब्रह्मचारिणी” का रूप है।
माँ चंद्रघंटा.. ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री

युद्ध की मुद्रा में शेर पर बैठी सुनहरी आभा लिए माँ दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है, जिनके सिर पर आधा चाँद और बजती घंटी है। उनका यह स्वरूप बेहद आकर्षक और चमकदार है। मस्तक पर तीन आँखों सहित दस हाथों में उन्होंने दस हथियार पकड़ रखा है, जिनमें ढाल, तलवार,खड्ग, त्रिशूल, धनुष, चक्र, पाश, गदा और बाणों से भरा तरकश शामिल है। कंठ में सफेद पुष्पों की माला और सिर पर रत्नजड़ित मुकुट शोभायमान है। माँ चन्द्रघण्टा का मुखमण्डल शांत, सात्विक, सौम्य किंतु सूर्य के समान तेज वाला है। वह हिम्मत की अभूतपूर्व छवि है। एक तरफ जहाँ अपने दोनों हाथों से माँ अपने साधकों को चिरायु आरोग्य और सुख सम्पदा का वरदान देती हैं, वहीं दूसरी तरफ घंटी की भयानक ध्वनि से सभी राक्षसों और प्रतिद्वंद्वियों को डरा देती है। जब महिषासुर के साथ माता दुर्गा का युद्ध हो रहा था, तब माता ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था। इसलिए नवरात्रि के तृतीय दिन माता के इस चंद्रघण्‍टा रूप का पूजन किया जाता है।

माँ चंद्रघंटा नाद की देवी हैं, इसलिए इनकी कृपा से साधक स्वर विज्ञान यानी गायन में प्रवीण होता है तथा मां चंद्रघंटा की जिस पर कृपा होती है, उसका स्वर काफी मधुर होता है।माँ चंद्रघंटा को यदि आप प्रसन्न करना चाहते हैं तो उन्हें दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं और और इसी का दान भी करें। ऐसा करने से माँ खुश होती हैं और सभी दुखों का नाश करती हैं।केतु के विपरीत प्रभाव को दूर करने के लिए चन्द्रघंटा कि साधना अनुकूलता देती है | माँ चंद्रघंटा की आराधना में हरे रंग का विशेष महत्व है। इस दिन हरे रंग का प्रयोग कर माँ की कृपा एवं सुख शांति प्राप्त की जा सकती है।

माँ चंद्रघंटा की उपासना करने के लिए मंत्र है:

मंत्र:- पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चन्दघण्टेति विश्रुता।।

कर्ज से मुक्ति दिलाती है मां चंद्रघंटा 
मां चंद्रघंटा के मंत्र का जप किया जाये तो सभी परेशानियों के साथ ही साधक को  शुक्र ग्रह से संबंधी परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। क्योंकि शुक्र ग्रह पर मां चंद्रघंटा का आधिपत्य रहता है। 
आज पीली कौड़ी और हर सिंगार की जड़ को रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप से पूजन करके धारण करें, या अपने पास रखें तो ऋण से मुक्ति प्राप्त होगी।

ज्योतिष सेवा केन्द्र
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री
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