जरूरत है भारत की गौरवशाली वैदिक शिक्षा को लौटाने की : गौतम ऋषि
एक ऐसी संस्था जो गुरुकुल और गोसवा की ओर देश के युवाओं को मोड़ रही
नई दिल्ली । अखिल भारतीय गुरुकुल एवं गौशाला अनुसंधान संस्थान वर्ष 2०14 से लगातार भारत को उसका वैदिक गौरव लौटाने का काम कर रही है। भारत जब विश्वगुरू बनने का सपना संजोये हुए आगे बढ़ रहा है तो वह अपने गौरवशाली अतीत के जरिये। इस क्रम में उसके अतीत को नहीं भुलाया जा सकता। जिसमें गुरुकुल पद्धति रही हो या फिर वेदों में समाहित विज्ञान। आज भले ही हमारी श्ौक्षिक पद्धति आधुनिकता का आवरण ओढ़कर आगे बढ़ने का दावा करती हो लेकिन क्या पुराने वैज्ञानिक तरीकों, शक्तियों को भुलाया जा सकता है। यह सर्वविदित है कि पुरातन काल मंे भारत वर्ष में जो विज्ञान हमारी पास था आज उसका दशांश भी नहीं बचा है।
अखिल भारतीय गुरुकुल एवं गौशाला अनुसंधान संस्थान नामक संस्था के आचार्य ज्योतिष र‘ गौतम ऋषि (संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं हस्तरेखा व वास्तु विश्ोषज्ञ) एक बातचीत में कहते हैं कि उसमें वर्ष 1838 से पहले की गुरुकुल पद्धति के सिद्धांत को आगे बढ़ाने का काम कर हम कर रहे हैं ताकि जो युवा हैं उनको पुरानी पद्धति की जानकारी के साथ ही आधुनिक शिक्षा भी दी जा सके। श्री गौतम कहते हैं कि 1858 में अंग्रेजों ने जो एजूकेशन एक्ट पास किया था उसमें संशोधन की जरूरत है। आज पूरे विश्व में नालंदा विश्वविद्यालय, तक्षशिला विश्वविद्यालय की ख्याति है। पूरे विश्व के बच्चे भारत में आकर इस विवि की ओर आकर्षित होते थ्ो। इसका क्या कारण है लेकिन आज भारत की विडंबना है कि हम विकास तो कर रहे हैं लेकिन शिक्षा के स्तर पर हम दूसरे देशों पर निर्भर हो रहे हैं । हम वैदिक और आज की आधुनिक शिक्षा दोनों का समावेश कर एक नयी पद्धति को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
श्री गौतम कहते हैं कि हम इस पद्धति को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों ंके पास जा रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि सरकार एक मसौदे को तैयार कर उसमें परिवर्तन करे और हमारी संस्था को सहयोग करे ताकि हम इस समन्वय भरी शिक्षा पद्धति को आगे बढ़ा सकें।
इसी तरह हम गोसेवा को भी आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। आज गोसेवा की ओर पूरे भारत के लोग इस पर आकर्षित हो रहे हैं। वह कहते हैं कि आपको शायद नहीं पता कि देशी नस्ल की जो गाय होती है वह 24 घंटे आक्सीजन देती है लेकिन यदि आप धार्मिक तौर पर भी देख्ोंगे तो गाय का धार्मिक महत्व है। हमारी संस्था पूरे देश में गो तस्करी, गोवध पर पूरी तरह से रोक लगाने का काम कर रही है। हम इस तरह की घटनाओं को रोक रहे ैहैं। हम सरकार से मांग करते हैं कि गो मंत्रालय बने और इस पर एक आयोग बने ताकि कानून बनाकर गोसेवा को बढ़ाया जा सके।
श्री गौतम कहते हैं कि हम इसी क्रम में आज लखनऊ आये हैं ताकि यहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक अपनी बात पहुंचा सकें । हालांकि वह खुद गोसेवा को बढ़ावा दे रहे हैं। लेकिन हमारी संस्था उनसे अपील करती है कि वह केंद्र सरकार से एक कानून बनवाकर उस पर सख्त कानून बनाये। ताकि गो तस्करी से संबंधित अपराधों को रोका जा सके।
आधुनिक शिक्षा से गुरुकुल कम नहीं
श्री गौतम कहते हैं कि आप कहते हैं कि तकनीकी शिक्षा बहुत जरूरी है लेकिन आप बताइये कि हमारी वैदिक शिक्षा कितनी प्रबल थी। हमारे वैज्ञानिक अब जिस पर काम कर रहे हैं वह हमने बहुत पहले बता दिया था। मंगल ग्रह हो या फिर पृथ्वी से सूर्य की दूरी । वह सब हमने अपने ग्रंथों में पहले ही बता दिया था। वह कहते हैं कि अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाने के लिए ही यहां गुरुकुल पद्धति को खत्म किया। 1838 से पहले भारत की साक्षरता दर सौ प्रतिशत थी लेकिन आज नहीं है। आज छोटा बच्चा किताबों से दबा हुआ है। लेकिन गुरुकुल पद्धति में 63 विषय थ्ो लेकिन किताबों का बोझ नहीं था। लेकिन उस समय की विज्ञान, तर्क शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र सभी इतना ज्ञान देते थ्ो कि भारत की शिक्षा की पूरी दुनिया कायल थी। आज हम बीमार होते हैं तो अस्पतालों में सर्जरी कराने जाते हैं पहले हड्डियां टूटती थीं तो 24 घंटे में जुड़ जाती थीं इसलिए ऐसा नहीं कि पुरानी शिक्षा बेहतर नहीं थी। उन्होंने कहा कि मैं आज की शिक्षा को खराब नहीं कह रहा, लेकिन जरूरत पुराने गौरवशाली अतीत को साथ लेकर आगे बढ़ने की है।
अगले वर्ष काशी नगरी से शुरू होगा देश का पहला गुरुकुल
अखिल भारतीय गुरुकुल एवं गोसेवा अनुसंधान के गौतम ऋषि ने बताया कि वर्ष 2०23 से हम उत्तर प्रदेश के वाराणसी से अपना पहल गुरुकुल शुरू करेंगे और वहां पर बच्चों को गुरुकुल की शिक्षा दी जायेगी और आधुनिक विषयों का भी उसमें समावेश रहेगा। 

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