चेहरे पर दाग हो तो शीशे नहीं तोड़े जाते........!
सोहनपुर देवरिया। जहां समाज की अच्छाई-बुराई का प्रतिबिम्बन कर कलम के सिपाही सही गलत का विभेदन करने वाले मीडिया बन्धु अपना अमूल्य समय देकर जनमानस की भावनाओं का पारदर्शी निरूपण स्वछन्द भाव से करते हैं, वहीं मीडिया के लोगों का प्रशासन और समाज के कुछ कुंठाग्रस्त लोगों की द्वेष व ताड़ना का शिकार होना अफसोस की बात है। यह बातें मिशन ग्रामोदय के संचालक व निष्पक्ष कलमकार जगरनाथ यादव ने कही। उन्होंने कहा कि- चेहरे पर दाग हो तो शीशे नहीं तोड़े जाते! वर्तमान दौर में दम्भ और द्वेष का आलम यह है कि - गलत को गलत कहने वाला आंखों की किरकिरी हो जाता है। यही वाक्या परीक्षा की सुचिता को तार तार करने वाले की पोल खोलने वाले पत्रकारों के साथ हुआ है। एक कहावत है कि खेत चरे गदहा, मार खाए जोलहा। आज ये कहावत चरितार्थ हो गई है। आखिर प्रशासन का सहयोगी, गुनहगार कैसे हुआ?
कहा जाता है कि मीडिया प्रशासनिक सहकारिता की सहगामी है। मीडिया समाज के हर अंग का पटलीकरण, सही-गलत व न्याय-अन्याय में विभेदन में सहायक होता है। एक कलमकार की नज़र समाज के हर पहलू को उजागर करने की होती है। पत्रकारों के साथ होने वाले प्रशासनिक दुर्व्यवहार व कुंठापूर्ण कार्यवाही प्रबुद्ध मानसिकता को धिक्कारती है। यदि समाज को आइना दिखाना गुनाह है,तो हर कलमकार यह गुनाह करना कबूल करेगा।
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