*अयोध्या विधानसभा रिपोर्टर, संतोष कुमार श्रीवास्तव*अयोध्याधाम   चौरासी कोसी परिक्रमा के लिए तैयार ,प्रारंभ । 

राम की  नगरी अयोध्या में पूर्व से ही 84 कोसी परिक्रमा होती चली आ रही है । रामनगरी का यह 84 कोसी  परिक्रमा सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है जो सनातन हिन्दू धर्म में आस्था को परिभाषित  करता है। यह परिक्रमा प्रत्येक वर्ष वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से वैशाख शुक्ल नवमी (जानकी जन्मोत्सव) तक चलता है। इस बार इन तिथियों का योग 17 अप्रैल से 10 मई के बीच पड़ रहा है। परिक्रमा से न केवल रामनगरी की वृहत्तर सीमा जीवंत होगी, बल्कि इस सीमा में स्थित अनेक ऋषियों व पुराकालीन पात्रों का अतीत समीकृत होगा। 24 दिवसीय परिक्रमा बस्ती, अंबेडकरनगर, अयोध्या, बाराबंकी एवं गोंडा जिला के अनेक पौराणिक स्थलों को शिरोधार्य करती हुई आगे बढ़ेगी। परिक्रमा की शुरुआत बस्ती जिला के परशुरामपुर थानांतर्गत उस स्थल से होगी, जिसे मखौड़ा धाम के नाम से जाना जाता है। रामनगरी से 25 किलोमीटर उत्तर-पूर्व स्थित मखौड़ा प्राचीन मनोरमा नदी के उस तट पर बसा है, जहां त्रेता में राजा दशरथ ने पुत्र की कामना से यज्ञ किया था। यह विरासत अयोध्या स्थित आचार्य पीठ दशरथमहल के संरक्षण में स्थापित राम-जानकी मंदिर  है । त्रेतायुगीन रामजानकी मार्ग एवं पुण्य सलिला सरयू को पार करती हुई परिक्रमा मंगलवार को श्रृंगीऋषि आश्रम पहुंचेगी। त्रेतायुगीन श्रृंगी ऋषि के ही मार्गदर्शन में दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ संपन्न हुआ था। परिक्रमा उस तमसा नदी को भी शिरोधार्य करती हुई आगे बढ़ेगी, जिसके बारे में उल्लेख है कि श्रीराम ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान  वनवास की पहली रात इसी तमसा नदी के तट पर व्यतीत की थी। 24 दिवसीय परिक्रमा नौवें दिन अयोध्या जिला के मिल्कीपुर तहसील अंतर्गत द्वापर युगीन पौराणिक स्थल आस्तीकन से होकर गुजरेगी। यात्रा का अगला केंद्र द्वापर एवं कलियुग की संधि बेला के अवसर पर अहम भूमिका में रहे राजा जन्मेजय के नाम से स्थापित जन्मेजयकुंड होगा। प्रति वर्ष के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इस वर्ष 84 कोसी परिक्रमा को लेकर राज्य सरकार अपनी तैयारी में जुटी हुई है ।

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