तो भाजपा में परिवारवाद नहीं चलेगा। स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद को लोकतंत्र का दुश्मन बताया।
वर्चुअल संबोधन, एक अच्छी पहल।
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6 अप्रैल को भाजपा का 42 वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर भाजपा के शीर्ष नेता और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तकनीक से करोड़ों कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इससे जहां कार्यकर्ताओं को सुविधा मिली, वहीं मोदी का संदेश करोड़ों कार्यकर्ताओं तक पहुंच गया। एक शहर में कई स्थानों पर स्क्रीन लगाकर मोदी का भाषण सुना गया। इस वर्चुअल तकनीक का उपयोग पर अन्य राजनीतिक दल भी करने लगे हैं। 6 अप्रैल को मोदी ने परिवारवाद पर आधारित राजनीति की जमकर आलोचना की। मोदी ने कहा कि परिवारवादी राजनीतिक पार्टियां लोकतंत्र की दुश्मन है। भले ही ऐसी पार्टियां अलग अलग राज्यों में हों, लेकिन इनके तार आपस में जुड़े हैं। मोदी ने राजनीति में परिवारवाद की जिस तरह आलोचना की है, उससे प्रतीत होता है कि भाजपा में परिवारवाद नहीं चलेगा। यानी किसी मंत्री अथवा सांसद के बेटे को विधायक का उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा। भाजपा में जो नेता अपने पुत्रों अथवा अन्य रिश्तेदारों को आगे बढ़ाने की चाह रखते हैं, उन्हें मोदी के संकेतों को समझ लेना चाहिए। भाजपा में अब मोदी नीति ही चलेगी। वर्ष 2013 में जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था, तब भाजपा के सांसदों की संख्या 116 थी। देश के कुछ राज्यों में ही भाजपा की सरकारें थी, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सांसदों की संख्या 282 हो गई। मोदी के नेतृत्व में पांच वर्ष तक चली सरकार के 2019 के चुनावों में भाजपा के सांसदों की संख्या 303 हो गई। इनमें यदि सहयोगी दलों के सांसदों की संख्या भी जोड़ दी जाए तो सरकार को करीब 350 सांसदों का समर्थन है। लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 545 है। राज्यसभा के 245 सांसदों में से मौजूदा समय में भाजपा के सांसदों की संख्या 100 है। इसी प्रकार देश के 12 राज्यों में भाजपा के बहुमत वाली सरकार है तो 6 राज्यों में समर्थन से सरकार चल रही है। भाजपा आज जिस मजबूत स्थिति में खड़ी है, उसके पीछे मोदी का राजनीतिक कौशल ही है। 1984 में भाजपा के देशभर में मात्र दो सांसद थे। स्थापना दिवस पर मोदी ने माना कि अब राजनीति के मायने बदल गए हैं। राजनीति में अब सेवा की भावना जरूरी है। जनता को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा, तभी सरकार की उपलब्धियों को माना जाएगा। हाल के चुनावों में चार राज्यों में भाजपा सरकारों की इसलिए वापसी हुई है क्योंकि गत शासन में योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचा था। देश में एक समय ऐसा भी आया, जब जनता को चुनी हुई सरकारों से निराश हो गई, लेकिन आज देश की जनता के सपने पूरे हो रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत मजबूती के साथ खड़ा है। देशवासियों के संकल्प के कारण ही निर्यात का 100 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हुआ है। मोदी ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाओं का भी उल्लेख किया।
हिन्दीसंवाद न्यूज़ के लिए
(S.P.MITTAL )
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