महाशिवरात्रि : कर्मदेश्वर महादेव में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, दर्शन कर भक्त हो रहे निहाल
वाराणसी। महाशिवरात्रि पर शिव की नगरी काशी में महादेव का जयघोष लग रहा है। पूरी काशी भोले नाथ की भक्ति में डूबी हुई है। ऐसे में काशी के दक्षिण छोर पर स्थित पंचकोस यात्रा के प्रमुख पड़ावों में से एक कर्मदेश्वर महादेव मंदिर पर भोर से ही आस्था का जनसैलाब उमड़ रहा है। श्रद्धालु महादेव को जल चढ़कर निहाल हो रहे हैं। बता दें कि कर्मदेश्वर महादेव मंदिर काशी के प्राचीन मंदीरों में से एक है।
महाशिवरात्रि पर कर्मदेश्वर महादेव मंदिर में भक्त कतारबद्ध होकर बाबा का दर्शन कर रहे हैं। मंदिर के पुजारी रामकृष्ण गिरी ने बताया कि ये कंद वन था जो कर्दम ऋषि की तपोभूमि हैं। तप से प्रसन्न होकर शंकर जी ने दर्शन दिया तो उन्होंने यहां उनकी स्थापना कराई। कर्दम ऋषि बूढ़े हो चुके थे। गृहस्थ आश्रम में जाना था उन्हें पर उन्होंने बिन्द सरोवर में स्नान किया तो वो 20 साल के हो गए, जिसके बाद उनकी शादी माता विभूति के साथ शादी हुई, जिससे उनके एक पुत्र हुए कपिलमुनि और 9 कन्याएं हुईं जिसमे सब्से छोटी थीं सती अनसुइया। यह मंदिर 12 वीं शताब्दी को राजा गढ़वाल ने बनवाया है। वहीं दर्शन करने पहुंची सोनी चौधरी ने बताया कि हम पिछले 9 साल से यहां महाशिवरात्रि पर दर्शन करने आ रहे हैं। यह बहुत प्राचीन मंदिर हैं और कहा जाता है का महादेव यहं साक्षत वास करते हैं। वहीं एक अन्य प्रिया ने बताया कि महाशिवरात्रि पर कई वर्षों से यहां मनोकामना लेकर आ रही हूं, जो पूरी होती है हर वर्ष। वहीं कामनी श्रीवास्तव ने बताया कि हर साल दर्शन करने आते हैं यहां।
वाराणसी के दक्षिणी छोर पर स्थित कन्दवा पोखरे के किनारे बसा कर्दमेश्वर महादेव मंदिर काशी के प्राचीन शिव मंदिरों में बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिसका उल्लेख काशी खंड और पंचकोसी महात्म्य में मिलता है। काशी की धार्मिक और महत्वपूर्ण पंचक्रोशी यात्रा का यह प्रथम विश्रामस्थल भी है, जहाँ शर्द्धालू अपनी पंचकोसी यात्रा के दौरान एक दिन विश्राम करते हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से यह मंदिर लगभग 12वीं शताब्दी में निर्मित हुआ जिसका निर्माण गढ़वाल राजाओं ने किया। काशी खंड और तीर्थ विवेचन खंड भी यह दर्शाते हैं की इस मंदिर का वरुनेश लिंग गढ़वाल काल का है। नागर शैली में निर्मित यह मंदिर पंचरथ प्रकार का है।
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