23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी की सजा दे दी गई. महज
23 साल की उम्र में भगत सिंह अपने साथियों के साथ हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए. भगत सिंह और उनके साथियों की कुर्बानी को हर साल शहीद दिवस के रूप में याद किया जाता है.
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