बलरामपुर/// आज भगवान शिव शंकर भोलेनाथ के पावन पर्व महाशिवरात्रि पर पूरे प्रदेश के शिवालयों में शिव भक्तों का तांता सुबह से ही लगा है।विशेष रूप से महिलाओं का पूजन अर्चन आज शिव मंदिरों में जारी है। महिलाएं और पुरुष आज भगवान के इस पर्व पर व्रत रखकर दोनों समय पूजन करेंगे।इस पावन पर्व पर एम एल के (पी जी) कॉलेज बलरामपुर में संस्कृत विभाग के प्रमुख रहे संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति के विश्व स्तर के विद्वान डॉ माधवराज द्विवेदी जी से आज के पर्व के संबंध में जानेंगे। डॉ द्विवेदी ने कहा कि प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी शिवरात्रि कही जाती है किन्तु फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है ।
धार्मिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि शिव और पार्वती के विवाह की रात्रि है । गरुड़,स्कन्द,पद्म और अग्नि पुराण में महाशिवरात्रि का वर्णन है ।सभी पुराणों में इसकी प्रशंसा की गई है ।इस पर्व पर उपवास करके विल्व पत्रों से शिव की पूजा और रात्रि में जागरण करने से नरक से मुक्ति के साथ निरतिशय आनन्द की प्राप्ति होती है ।और वह व्यक्ति शिव के साथ सायुज्य प्राप्त करता है । इस व्रत का उचित काल रात्रि में माना गया है । शिवरात्रि के सम्पादन का विशद वर्णन गरुण पुराण में मिलता है । तदनुसार त्रयोदशी को शिव की आराधना करके संकल्प लेना चाहिए कि हे देव! मैं चतुर्दशी की रात्रि में जागरण करूंगा और यथाशक्ति दान,तप एवं होम करूंगा । मैं उपवास रखकर आपका ध्यान करूंगा ।आनन्द और मोक्ष के लिए आप मेरा आश्रय बनें । इस पर्व पर व्रती को पंचामृत और पंचगव्य से शिवलिंग को स्नान कराना चाहिए ।
उसे ओम् नमः शिवाय इस पंचाक्षर मंत्र का पाठ करना चाहिए ।चन्दन लेप के साथ पंचोपचार से शिवार्चन करना चाहिए और अग्नि में चावल,तिल और घृतयुक्त भात की आहुति डालनी चाहिए । सूर्योदय के समय ओम् नमः शिवाय का जप करते हुए शिव से प्रार्थना करनी चाहिए कि हे देवाधिदेव,आपकी कृपा से मैंने यह व्रत पूर्ण किया है आप प्रसन्न हों , आपके व्रत से मैं पवित्र हो गया हूं ।आप मेरी पूजा को ग्रहण करें ।तिथि तत्त्व में बताया गया है कि रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध से शिव लिंग को स्नान कराना चाहिए तथा ह्रीं ईशानाय नमः मंत्र पढ़ना चाहिए । रात्रि के दूसरे प्रहर में दही से स्नान कराना चाहिए तथा ह्रीं अघोराय नमः मन्त्र पढ़ना चाहिए । तीसरे प्रहर में घृत से स्नान कराना चाहिए तथा ह्रीं वामदेवाय नमः मन्त्र पढ़ना चाहिए । चौथे प्रहर में मधु से स्नान कराना चाहिए तथा ह्रीं सद्योजाताय नमः मन्त्र पढ़ना चाहिए ।बताया गया है कि प्रथम प्रहर में गान एवं नृत्य, दूसरे में जप, तीसरे में कथा श्रवण और चौथे प्रहर में स्तोत्र पाठ के साथ लेटकर प्रणाम करना चाहिए । प्रातःकाल अर्घ्य जल के साथ क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए ।ऐसी मान्यता है कि यदि महाशिवरात्रि रविवार या मंगलवार को पड़ती है तो बहुत उत्तम होती है । आज की महाशिवरात्रि उत्तम है अतः आज व्रत करके आशुतोष भगवान शिव को प्रसन्न करके अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए । महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर मैं सभी मित्रों एवं देशवासियों को हार्दिक बधाई देता हूं और सबके सर्वविध अभ्युदय के लिए भूत-भावन भगवान् शिव से प्रार्थना करता हूं ।
उमेश चन्द्र तिवारी
9129813351
हिन्दीसंवाद न्यूज़
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