मौलाना अजमत अली ने बताया कि कल शबे बारात की फजीलत बयान करते हुए कहा कि सबे बारात यानी साबान की 15 वी रात बहुत ही मुबारक रात है जो 14 साबान के सूरज गुरूब होने से शुरू होती है और 15 तारीख की सुबह सादिक तक रहती है ।
इस रात में अल्लाह ताला को रहमत अपने पूरे जोबन पर होती है।
अपने गुनाहगार बंदों की बख़्शीश वा मग्फिरत के लिए बरकरार रहती है, इस रात में हर मामले का फैसला होता है, अल्लाहताला ने अपने बंदों में रिज्क तकसीम फ़रमाता है, पूरे साल बंदों से होने वाले अमाल और पेश आने वाले वाकियात पर अपने फरिश्तों की ड्यूटी मुकर्रर फ़रमाता है, साल भर में इंतकाल करने वालों के नाम जींदो से मुर्दों के दफ्तर में तब्दील फ़रमाता है, हदीस शरीफ में है इस रात में अल्लाह कबीलाई बनी कल्ब की बकरियों के बालों के गिनती के बराबर गुनाहगारों को जहन्नुम से आजाद फ़रमाता है, मुसलामानों को चाहिए कि इस रात में इबादत करे, कजा नमाजें पढ़े, नफिल व तहज्जुद पढ़े, अगर मुमकिन हो तो सलातूल तस्बीह पढ़े, कसरत के साथ कुरान की तिलावत करे, अपने गुनाहों से माफी मांगे, अपने मरहुमीन के लिए इसाले सवाब और दुआ ए मगफिरत करे, सबे बारात के हसीन मौके पर पटाखे, आतिशबाजी और दूसरी खुराफात से परहेज करे, अल्लाह तौफीक दे, तो 15 साबान का रोजा रखे, इस मौके पर खूब दु आए मांगे
, खासकर यह दुआ भी करे कि हमारे मुल्क हिन्दुस्तान में अमन शांति और भाईचारा कायम रहे
असग़र अली
उतरौला
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