*हमाम मे सभी नग्न ही नग्न*
आप सभी को मेरा नमस्कार। आज काफी अर्से बाद मै कोई लेख लिख रहा हू । इस वक्त हम लोग कोरोना से उबरने का प्रयास कर रहे है । कोरोना की दो लहरों मे अगर कुछ चीज सबसे ज्यादा प्रभावित हुई थी तो वह थी हमारी और आपकी आम जिंदगी । क्योंकि हमारे देश का एक बहुत बडा तबका आज भी निजी व्यवसाय के सहारे अपना जीवन यापन करता है । और कुछ लोग तो ऐसे है कि अगर वो दिन भर काम करेगे तो ही वो दिन मे दो वक्त की रोटी के लिए कुछ कर पाएंगे । ऐसी स्थिति मे अगर वो काम नही करेगे तो वो कुछ अर्जित भी नही कर पाएगे । अगर ऐसी स्थिति मे आपके पास अगर धन नही है तो आप अपना और अपने परिवार का गुजारा कैसे करेगे ?? यह स्थिति हमारे देश के मध्यम और निम्न वर्गीय समाज के लिए एक बहुत बडी समस्या है । कोरोना की दोनो लहरों मे काफी परिवारों के सामने रोजी रोटी की बहुत बडी समस्या थी । उस दौर मे अगर जिन जिन लोगो ने उस समस्या का सामना नही किया तो हमे उस स्थिति के लिए इस प्रकृति और परमात्मा जिसमे भी हमारी आस्था है ,उसका शुक्रगुज़ार होना चाहिए । हमारे देश का एक बडा ट्रेंड रहा है कि कैसे भी सरकारी नौकरी मिल जाए । सरकारी नौकरी मतलब एक तरह से आरामदायक जिंदगी । जहा हमारे पास पैसा भी होगा और नाम भी । आज भी देश के कई हिस्सों मे लोग उस सरकारी नौकरी का पद प्राप्त करने के लिए दिन रात एक करके कडी मेहनत करते है । आज के इस महंगाई के दौर मे जहा शिक्षा एक सेवा की जगह एक व्यवसाय और धंधे का रूप ले चुकी है । लोग महंगी महंगी ट्यूशन और कोचिंग फीस देकर व्यवसायिक परीक्षाओं की तैयारियां करते है और नौकरी के लिए हजारो लोगों का फॉर्म भरा जाता है जहा सरकार एक आवेदक से पांच सौ रुपये से लेकर हजार रूपये तक उस आवेदक से वसूल करती है । इस प्रकार सरकार को करोडो अरबों रूपयों की आय होती है । और यह रकम सरकारी खजाने मे जाता है ,वो बात अलग है कि इस रकम का उपयोग सरकार मे बैठे नुमाइंदे किस किस तरीके से करते है । यहा मै दो जगह की चर्चा करने जा रहा हू । एक तो राजस्थान मे अशोक गहलोत के शासन काल मे रीट परीक्षा का पेपर लीक हुआ ।दूसरा बिहार मे रेल्वे भर्ती परीक्षा मे कुछ धांधली की वजह से परीक्षार्थियों को उग्र होना पडा जिसकी वजह से उन्होने काफी जगह हिंसा का प्रदर्शन किया । हिंसा कभी भी किसी भी चीज का हल नही है लेकिन जिन छात्रों को इस दिन का इंतजार रहता है,उन पर क्या गुजरी होगी ??? उन्होने अपनी जिंदगी का कितना बडा हिस्सा उस परीक्षा की तैयारी के लिए दिया हुआ होगा । हमारा समाज हमेशा आकाश मे चमकने वाले तारे को ही देखता है लेकिन इस समाज मे कुछ तारे ऐसे भी होते है जो हमारे प्रशासन के नाकारापन की वजह से भ्रष्टाचार की धुंध के उस अंधेरे मे खो जाते है । दोनो ही जगह चाहे वो राजस्थान हो या रेल्वे प्रशासन के नाकारापन और निकम्मेपन से इंकार नही किया जा सकता है । राजस्थान मे कही भी रेट परीक्षा की धांधली के ऊपर न तो कही विरोध प्रदर्शन हुआ और न ही कही कोई मीडिया डिबेट हुई । कयूकि दूर से देखे तो ऐसा लगता है राजस्थान मे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो ही इस मामले मे पर्दे के पीछे रेबडियां बांट कर आपस मे खा रहे है । देश के संविधान और कानून के अनुसार अगर सत्ता पक्ष गलत शासन कर रहा है तो विपक्ष और विपक्षी नेताओं का यह नैतिक कर्तव्य है कि वो उस गलत फैसले का पुरजोर विरोध करे चाहे उन्हे इसके लिए सडक पर बैठकर आमरण अनशन ही कयू न करना पडे लेकिन लगता है कि राजस्थान मे विपक्ष या तो है नही और अगर है तो सिर्फ फोटोबाजी या वातानुकूलित हाल मे बैठकर साक्षात्कार देने तक ही सीमित है । यह हमारा और हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हम ऐसे नाकारा और निकममे नेताओ से हमारे भाग्योदय की उम्मीद रखते है । राजस्थान मे सत्ता पक्ष के लोग भी नौकरियों मे पैसा लेकर या स्थानांतरण मे पैसा लेने की बात की बार खुलेआम और खुले मंच पर स्वीकार कर चुके है लेकिन सरकार को हमारी कमजोर नस पता है । चुनाव आने तक ये नेता हमको ऐसी घुटटियां पिलाएंगे कि हम इन सबके पापों को भूल जाऐगे। चाहे सत्ता पक्ष हो विपक्ष राजनीति मे सभी आपसे मे मिल बैठकर रेबडियां आराम से खाते है । चाहे उसके लिए नग्नता के किसी भी रसातल मे कयू न उतरना पडे । बस किसी तरह से सत्ता आ जाए और फिर सत्ता के बाद धन आना चाहिए । देश मे जब भी और जहा भी चुनाव होते है तो पार्टियां मुफ्त उपहारों की घोषणाओं की बाढ ही ला देती है । कयूकि इन पार्टियों को भी पता है कि इस देश की जनता की नस मे मुफ्त खोरी बहुत अंदर तक घर चुकी है ,इसको निकालना इतना आसान नही है । इसलिए हमारे देश की अधिकार जनता मुफ्तखोरी के चक्कर मे चोर ,उचकके और डकैत किस्म के नेताओं को भी जिताने से नही चूकती है । जब भी कोई नेता सांसद या विधायक बनता है तो वह पहले उस क्षेत्र मे एक स्थानीय व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि बनाता है जिससे उस जगह के लोग उस स्थानीय प्रतिनिधि के जरिए उस विधायक या सांसद से अपना निजी कार्य अपने मनमाने तरीके से करवाते है और उसके लिए कुछ रकम भी तय होती है जिसका कुछ हिस्सा उस स्थानीय व्यक्ति को मिलता है ,कुछ हिस्सा उस विधायक या सांसद को और कुछ हिस्सा उस विधायक या सांसद से संबधित पार्टी और सरकार के उच्च अधिकारी और नेताओं तक पहुंचता है । रीट परीक्षा का पेपर लीक मामले मे जिन अधिकारीयों को निलंबित किया गया है वह सही है ,लेकिन क्या सरकार इस मामले मे अपनी जवाबदेही से बच सकती है । लाखों विधार्थीयों के जीवन को अंधकार मय बनाने के लिए क्या सरकार से सवाल नही पूछना चाहिए। इस पूरे मसले पर विपक्ष अपने मुहं मे दही जमाकर कयू बैठा है । सौ बात की एक बात चाहे सरकार कोई भी हो पिसता तो आम आदमी ही है ।
बाकि आप सब समझदार है ।
मेरा देश महान ।
जय हिन्द ।
*हेमन्त कुमार शर्मा*
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