भक्तों के वश में होते हैं भगवान.. कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री महराज
बस्ती गोटवा बाजार बढ़नी अनिरुद्ध मिश्रा पप्पू के यहाँ चल रही संगीतमय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आठवें दिन कथाव्यास परमपूज्य कौशलेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। भगवान कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। रुक्मिणी विवाह,मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण,एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए व्यासपीठ से महराज जी ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं । उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने सखा सुदामा से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे।
द्वारपाल के मुंह से श्रीकृष्ण ने सुदामा का नाम जैसे सुना, प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया। दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। ऐसी मित्रता देखकर भक्तों से भरा पंडाल कृष्ण सुदामा के जयकारों से गूंज उठा।
कौशलेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन तर जाता है। इस अवसर पर पप्पू मिश्रा परिवार की तरफ से आए गणमान्य लोगों का माला पहनाकर स्वागत किया। भागवत कथा समापन होने पर सभी भक्तो के द्वारा कथा स्थल से प्रसाद लेकर गये।
मुख्य यजमान चंद्रावती ने बताया कि आज 09 फरवरी को पुर्णाहुति के बाद महाप्रसाद की व्यवस्था सभी भक्तों के लिए की गई है इस मौके पर ज्योतिषाचार्य पं अतुल शास्त्री,एच पी तिवारी हरिशंकर शास्त्री,सूरज शुक्ला,आदेश मिश्रा ,संजय मिश्रा,गोलू,शिवम आदि भक्त रहे।
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