हिन्दीसंवाद के लिए असगर अली की रिपोर्ट
उतरौला(बलरामपुर ) सौ सुनार की न एक लोहार की कहावत चरितार्थ होती दिख रही है विधानसभा चुनाव में।
जिस तरह चुनाव जीतने के बाद पांच साल नेता जनता को बेवकूफ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं ऐसे में अब जनता को चुनाव के दौरान जो मौका मिला है भला वह इसे हाथ से क्यों जाने दें।वह सभी उम्मीदवारों को अपना मत देने का आश्वासन दे रहे हैं।उल्लेखनीय हो कि विधानसभा चुनाव मे किसी भी उम्मीदवार को जनता निराश नहीं कर रही है जो भी प्रत्याशी वोट मांगने आता है उसे यही कहा जाता है कि आप बेकार यहां आये हम आपको ही वोट देंगे भला आपको छोड़कर हम कहां जायेंगे।लेकिन कोई भी नेता जनता के इस आश्वासन के पीछे छिपे दर्द को नहीं समझ पा रहा है वह तो इसे अपने प्रति जनता का अटूट प्यार समझकर बाग बाग हो जाता है।विधानसभा चुनाव की रणभूमि में उतरे प्रत्याशियों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है उनकी बेचैनी दिनों दिन बढ़ती जा रही है।वहीं मतदाता किसी भी दल के साथ खुलकर नहीं आ रहा। है।जिस कारण प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ती जा रही है मतदाता सभी को आश्वासन की घुट्टी पिला रहा है मगर नेता जी जो हैं कुछ समझ नहीं पा रहे हैं।मतदाताओं का झूंठा आश्वासन उम्मीदवारों को ओवर कान्फीडेंस से सरोबार कर रहा है और मतदाता वही चाह रहा है यह ओवर कान्फीडेंस उन्हें चुनाव के प्रति कुछ तो लापरवाह बनायेगा ही।जिससे जनता को दगाबाज नेताओं को कुछ सजा देने में कामयाबी मिलेगी।विधानसभा उतरौला 293में तीन मार्च को मतदान होना है यहां पर मुख्य मुकाबला भाजपा व सपा के बीच होना माना जा रहा है लेकिन मतदाता अपने मन की बात खोलना नहीं चाह रहा है।मतदाताओं की चुप्पी ने प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी है जनता सोच रही है कि झूंठ बोलकर वोट लेने वालों को सबक सिखाने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं।
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