हिन्दीसंवाद के लिए असगर अली की रिपोर्ट

उतरौला(बलरामपुर)

उतरौला विधानसभा क्षेत्र में राप्ती नदी में हर वर्ष आने वाली बाढ़ के चलते दो सौ से अधिक गांवों की खेती बुरी तरह प्रभावित होती है। खेतों के जलप्लावित होने के साथ चकमार्ग, राजमार्ग व खलिहान भी पानी में डूब जाते हैं। केवल बाढ़ तक ही विभीषिका सीमित नहीं रहती बल्कि नदी का जलस्तर घटने के बाद नदी के कटान से भी सैकड़ों बीघे खेत व मकान भी नदी में समा जाते हैं।

तटवर्ती गांवों के निवासी हर वर्ष जून से सितंबर तक इसी समस्या से जूझते रहते हैं। नदी के तट पर बने 128 किलोमीटर बलरामपुर-भड़रिया तटबंध के कटने व अधूरे होने के कारण यह समस्या बनी रहती है। लखमा, नंदमहरा, बभनपुरवा, अल्लीपुर, कटरा, पिपरा एकडंगा, रुस्तम नगर, फत्तेपुर, लालनगर, मटियरिया, बाघाजोत, पाला, भटपुरवा, महुआधनी, परसौना, कुंड़ऊ, बौड़िहार जैसे सैकड़ों गांवों के लोगों की दिनचर्या तीन महीने तक बाढ़ के चलते प्रभावित रहती है।

कटान की जद में आने के कारण बभनपुरवा गांव के एक दर्जन लोग अपने रिहाइशी मकान तक गंवा चुके हैं। बभनपुरवा निवासी राम निवास, बरसाती, मनोज कुमार, शेषराम बताते हैं कि अधूरे तटबंध के कारण नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद इसी गांव से नदी का पानी विधानसभा क्षेत्र की सीमा में घुसकर भारी तबाही मचाता है। परसौना निवासी विजयपाल बताते हैं राप्ती नदी ने उनके गांव को तीन तरफ से घेर रखा है। नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद बाढ़ की समस्या और जलस्तर घटने के बाद कटान की समस्या हर वर्ष झेलनी पड़ती है। अधूरे तटबंध को पूरा कराने से समस्या का स्थायी हल निकाला जा सकता है।

ग्रामीण रक्षाराम यादव, संगम लाल, मुहम्मद मुस्तकीम, संजय कुमार का कहना है कि नदी के तट पर बने अधूरे तटबंध को पूरा कराने से एक सौ से अधिक गांवों के लोगों का जीवन सुरक्षित करने के साथ खेत-खेती को बचाया जा सकता है। एसडीएम संतोष ओझा का कहना है कि राप्ती नदी पर तटबंध को पूरा कराने का प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है। इसी वित्तीय वर्ष में कटान रोकने व तटबंध को पूरा कराने की योजना पर काम होगा।

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