साइलेंट मतदाताओं ने बढ़ाई प्रत्याशियों के दिलों की धड़कन
        गिरजा शंकर विद्यार्थी ब्यूरों
अंबेडकरनगर । जब भी चुनाव होता है तो अक्सर चुनाव करीब आने के पश्चात चुनाव की तस्वीर बदल जाती है। सीटों को लेकर खींचतान में पुराने रिश्ते टूट जाते हैं। 
जनपद में इस बार पांचों विधानसभा चुनाव में सियासी दांव-पेंच बदले हुए है। एक तरफ तो वोटर चुप्पी साधे है। वह अपने दर पर आने वाले हर एक प्रत्याशी का इस्तकबाल कर रहा है, तो दूसरी तरफ एक वर्ग ऐसा भी है जो आने वालों पर सवालों की बौछार के साथ खुलकर विरोध भी कर रहा है। ऐसे में यह दोनों ही वोटर राजनैतिक दलों की नींद उड़ाए हुए हैं। नेताओं के समर्थक भी वोटर्स का रूख नहीं भांप पा रहे हैं। ऐसे में किसी की धड़कनें बढ़ी हुई हैं, तो किसी की रातों की नींद गायब।
वैसे तो चुनाव हर पांच वर्ष बाद होते हैं। मतदाताओं की चुप्पी भी हर चुनाव में आम है। वे दरवाजे पर आने वाले हर दल के प्रत्याशी का स्वागत करते हैं, तो मतदान के दिन ईवीएम का बटन अपने मन से दबाते हैं। मगर इस बार लगभग सभी विधानसभाओं में एक अलग ही नजारा दिखाई दे रहा है। चुप्पी के साथ में कुछ प्रत्याशियों को सरेआम विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। इसने कईयों की नींद उड़ाई हुई है। जिन क्षेत्रों में नेताओं को अपने सामने ही विरोधी दलों की जय-जयकार सुननी पड़ी है, उन क्षेत्रों को लेकर वे अब नई रणनीति बनाने में व्यस्त हैं।
चुनाव के पुराने जानकार प्रत्याशी अब प्रचार में साध-साधकर कदम रख रहे हैं। अब कोई भी घटना हो जाती है, तो तुरंत ही सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती है। प्रत्याशियों ने अपनी मैनेजमेंट टीम को भी लगाया है। जो जहां भी संपर्क होता है, वहां पर पहले से ही इस तरह की तैयारी करती है कि कोई सवाल नहीं खड़ा कर पाए। जहां पर हल्के फुल्के भी विरोध की सुगबुगाहट की आशंका होती है, उन इलाकों में वोट साधने की प्लानिंग शुरू हो जाती है।

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