हिन्दीसंवाद के लिए असगर अली की रिपोर्ट
उतरौला (बलरामपुर)
पूर्व मंत्री डॉ एस पी यादव के नेतृत्व और समाजवादी पार्टी की नीतियों में भरोसा जताते हुए किसान मोर्चा अवध क्षेत्र के उपाध्यक्ष व जिला पंचायत सदस्य राम दयाल यादव ने भाजपा छोड़ सपा का दामन थाम लिया। उनके साथ ज़िला पंचायत सदस्य ध्रुवराज यादव,कृष्ण कुमार यादव,अमित श्रीवास्तव, अनिल गौतम,सन्तोष यादव,जगन लाल यादव, मेहीलाल यादव, तामेश्वरी यादव, रंजीत यादव, तेजप्रताप यादव, रामू यादव, नरेश यादव, हरिराम यादव, समेत 400 भाजपा पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं, नेताओं ने सपा की सदस्यता ली। 
सोमवार 14 फरवरी को उतरौला के डी जे वाई इंटर कॉलेज में सपा के जिलाध्यक्ष परशुराम वर्मा व पूर्व मंत्री डॉ. एसपी यादव ने सभी को पार्टी की सदस्यता दिलाई। पार्टी छोड़ने का कारण बताते हुए रामदयाल यादव ने कहा कि भाजपा ने आरक्षण के मुद्दे पर पिछड़े वर्गों के साथ अन्याय किया।
शीर्ष नेतृत्व की कथनी-करनी में अंतर, किसानों, दलितों के साथ हो रहे भेदभावपूर्ण रवैए व कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से व्यथित होकर उन्होनें पार्टी से इस्तीफा दिया है। सपा प्रत्याशी मुहम्मद हसीब खां ने कहा कि प्रदेश की जनता भाजपा के पिछले कार्यकाल से खुश नहीं है। आने वाले समय अखिलेश को सीएम बनाना हमारा लक्ष्य है, जिसे रामदयाल यादव के आने के बाद आसानी से पा लिया जाएगा। पूर्व किसान मोर्चा अध्यक्ष भाजपा से विधानसभा का टिकट न पाने से नाराज चल रहे थे। विधानसभा चुनाव मे भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे जिला पंचायत सदस्य रामदयाल यादव पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए अपनी दावेदारी कर रहे थे।
वह स्वयं उतरौला ग्रामीण से व उनका भतीजा महुआ धनी क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य हैं, लेकिन भाजपा ने आरती तिवारी को टिकट देकर उनका निर्विरोध मनोनयन कराया था। इस चुनाव में भाजपा ने वर्तमान विधायक रामप्रताप वर्मा पर विश्वास जताते हुए उन्हे दोबारा प्रत्याशी घोषित किया है। इससे वह और उनके समर्थक आहत थे। नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा के नेताओं ने काफी मान मनौव्वल भी किया, दस फरवरी को नामांकन के बाद विधायक रामप्रताप वर्मा, जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह समेत पार्टी के अन्य कद्दावर नेताओं ने जिला पंचायत सदस्य की नाराजगी दूर करने के लिए कई बार बैठकें भी की़, लेकिन रविवार रात उन्होने पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। जिला पंचायत सदस्य के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी छोड़ना भाजपा के परंपरागत वोटों का खिसकना भी तय माना जा रहा है।

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