वाराणसी के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। कोहरे और ठंड के बीच उन्होंने गंगा में डुबकी लगाई। इस दौरान घाटों पर सुक्षा के सख्त इंतजाम किए गए थे। आस्थावान सूर्योदय होने से पहले ही घाटों पर पहुंच गए थे।
मौनी अमावस्या पर सुबह से ही दशाश्वमेध घाट, शीतला, राजेंद्र प्रसाद, दरभंगा घाट, पांडे घाट, निरंजनी घाट, पंचगंगा घाट, गाय घाट, केदार घाट, निरंजनी घाट, जैन घाट, भदैनी, अस्सी और सामने के अलावा अन्य रामनगर आदि गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा आस्था की डुबकी लगाई। गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का जत्था भोर से ही घाटों पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था।विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। स्नान के बाद तिल के लड्डू, तिल का तेल, गर्म कपड़े आदि दान किया। घाटों पर भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से राजघाट से सामने घाट तक पुलिस मुस्तैद रही। अस्सी घाट पर वाहनों को जाने की मनाही थी। घाट से पहले ही डुमराव बाग में वाहनों को बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया था।
मौनी अमावस्या पर सुबह से ही दशाश्वमेध घाट, शीतला, राजेंद्र प्रसाद, दरभंगा घाट, पांडे घाट, निरंजनी घाट, पंचगंगा घाट, गाय घाट, केदार घाट, निरंजनी घाट, जैन घाट, भदैनी, अस्सी और सामने के अलावा अन्य रामनगर आदि गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा आस्था की डुबकी लगाई। गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का जत्था भोर से ही घाटों पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था।विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। स्नान के बाद तिल के लड्डू, तिल का तेल, गर्म कपड़े आदि दान किया। घाटों पर भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से राजघाट से सामने घाट तक पुलिस मुस्तैद रही। अस्सी घाट पर वाहनों को जाने की मनाही थी। घाट से पहले ही डुमराव बाग में वाहनों को बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया था।
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