असगर अली की रिपोर्ट

उतरौला (बलरामपुर)
उतरौला कस्बे के कर्बला स्थित बाबा मोटे शाह का दो दिवसीय उर्स का समापन रविवार को हुआ।
दो दिवसीय उर्स के आखिरी दिन कुल शरीफ व लगंर में बड़ी तादाद में अकीदतमंद पहुंचे। मजार पर चादर पोशी व गुल पोशी कर दुआएं मांगी और शिरनी तकसीम की। कुल शरीफ के बाद मुल्क की सलामती और तरक्की के लिए दुआ की गई।
शनिवार को जलसे का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जबकि रविवार की रात तकरीर व नातिया कलाम का प्रोग्राम किया गया। कारी रईस अशरफी ने किरत कर कार्यक्रम का आगाज किया। 
मुफ्ती मोइनुद्दीन अज़हरी, मौलाना गुलाम रब्बानी, सैयद अहमदुल्लाह, मुफ्ती मोहम्मद जमील खान, मुफ्ती मसीहुद्दीन, मौलाना अकरम अली, कमर आलम बग़दादी, ने क्रमवार खिताब करते हुए दीन ए इस्लाम पर रोशनी डाली।  कहा की हिंदुस्तान में इस्लाम राजा, महाराजाओं के जरिए नहीं आया। बल्कि इन्हीं पीर, औलिया, बुजुर्गाने दीन व सूफी संतों के जरिए ही इस्लाम का परचम बुलंद हुआ। दीनी तालीम के अपने साथ अपने बच्चों को उच्च दुनियावी तालीम अवश्य दिलाएं। कुरान और हदीस के बताए हुए रास्ते पर चलें, दुनिया और आखिरत दोनों संवर जाएगी। 
नातखां सोहेल जाफराबादी ने नातिया कलाम पेश कर खूब वाहवाही बटोरी। 
निजामत मौलाना एजाज रज़ा हशमती ने किया।
दो दिवसीय उर्स के आखिरी दिन रविवार को कुल शरीफ में बड़ी तादाद में जायरीनों ने पहुंचकर चादरपोशी कर दुआएं मांगी। बाबा मोटे शाह मियां के उर्स में जहां एक और मुस्लिम समुदाय के लोग पहुंचते है वही दूसरी हिन्दू समाज के लोग भी आस्था रखते हैं। दरगाह पर पहुंचकर लंगर आदि भी करते हैं।देश की खुशहाली और तरक्की, कोरोना वायरस के खात्में बीमार लोगों के शिफा , देश में अमन शांति और भाईचारे के लिए दुआ की गई। दुआ में सैकड़ों हाथ उठे। इस दौरान उलेमा और जायरीन शामिल रहे।

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