उतरौला(बलरामपुर)  जनसभा न जमघट न बिल्ला न पर्चा,चुनावी माहौल बनाएगी चर्चा।        
     कोरोना की तीसरी लहर के आगोश में  हो रहे विधानसभा चुनाव में दावेदारों ने अब चुनाव प्रचार पर पूरा ध्यान केन्द्रित कर दिया है यह चुनाव क‌ई मायनों मे बेहद अलग है।दशकों से राजनीत कर रहे मझे हुए खिलाड़ियों को भी इस बार माथा पच्ची करनी पड़ रही है।
मतदाताओं तक पहुंच बनाने और उनका मूड भापने के लिए नये नये तरीके इजाद करने पड़ रहे हैं।जैसे जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है सोशल मीडिया के महारथी भी हांफने लगे हैं चुनाव आयोग की भी अब सोशल मीडिया पर पैनी नजर है।सब चलता है कि तर्ज पर अब तक चल रही कैंपेनिंग मुसीबत खड़ी कर‌ सकती है।इसका आभास भी उम्मीदवारों व उनके समर्थकों को हो गया है।प्रत्याशियों ने जनता के बीच पहुंचकर फेस टू फेस संवाद करने के प्रयास बढ़ा दिए हैं।ये समर्थक कभी अलाव के सहारे बैठे लोगों ,सार्वजनिक स्थलों,चाय पान की दुकानों नुक्कड़ों आदि पर मौजूद लोगों के बीच पहुंचकर पहले से चल रही चर्चा में शामिल हो जाते हैं धीरे धीरे लोगों के मिजाज भांपते हैं और मौका लगते ही अपने प्रत्याशी के पक्ष में मजबूत तर्क प्रस्तुत करते हैं। इनका प्रयास भी रहता है कि वह खुद को किसी पार्टी या प्रत्याशी से जुड़ा हुआ साबित न होने दें और निष्पक्ष होने के तमगे के साथ अपने प्रत्याशी का पक्ष मजबूत करते रहें।कौन किसके साथ है, गली मोहल्ले व क्षेत्र में किस तरह का माहौल है कौन किस पार्टी का मुखर विरोधी‌ है लोग किस तरह के सवाल कर रहे हैं।
और इन सवालों की काट कैसे की जा सकती है ये इनपुट भी दावेदार दे रहे हैं।इनपुट पर काम करने‌ के‌ बाद अपने समर्थकों को लगातार अपडेट किया जा रहा है।जिससे वह चर्चा से माहौल बनाने में कहीं पीछे न छूट जाएं।
असग़र अली
उतरौला

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