पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने की बाट जोह रहा गोविंद साहब धाम
गिरजा शंकर विद्यार्थी ब्यूरों
अंबेडकरनगर। पूर्वांचल में प्रसिद्ध गोविंद साहब धाम पर्यटन स्थल का दर्जा पाने की बाट जोह रहा है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र गोविंद मठ पर कई जरूरी बुनियादी सुविधाओं की दरकार है।
चुनाव दर चुनाव इस पावन मठ को वास्तविक पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाने व जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे तो होते रहे, लेकिन लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के इस केंद्र को अब तक कोई बड़ा पैकेज नहीं मिल सका है। प्रत्यैक वर्ष गोविंद साहब मठ पर एक माह तक भव्य मेला लगता है। गोविंद दशमी के मौके पर यहां गोविंद सरोवर में हजारों श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं और पूजन-अर्चन करते हैं। जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते इस मठ पर अब तक कई बुनियादी सुविधाओं की दरकार बनी हुई है।
लगभग 100 वर्ष से सिद्ध पुरुष बाबा गोविंद साहब की तपोस्थली लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। तपोस्थली पर प्रति वर्ष अगहन के शुक्ल पक्ष दशमी को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। हजारों श्रद्धालु अपने कष्ट निवारण के लिए गोविंद सरोवर में डुबकी लगाकर समाधि के दर्शन और मंदिर की परिक्रमा कर खिचड़ी चढ़ाते हैं। इसके साथ ही गोविंद साहब का मेला पूरे एक माह चलता है। गोविंद मठ पर पूजन-अर्चन व सरोवर में डुबकी लगाने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। एक तरफ जहां पूर्वांचल में गोविंद साहब मठ आस्था का बड़ा केंद्र है, वहीं व्यापारिक दृष्टिकोण से भी गोविंद साहब मेले की विशेष महत्ता है। प्रत्येक वर्ष लगने वाले मेले का आयोजन जिला पंचायत की देखरेख में होता है।
मेले के समय तो जिला प्रशासन व जिला पंचायत यहां जरूरी व्यवस्थाएं तो सुनिश्चित करता है, लेकिन इसके बाद इस मठ की सुध लेने की जरूरत कोई महसूस नहीं करता। इसी का परिणाम है कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र को अब तक पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल पाया है। जबकि यदि गोविंद धाम पर जरूरी सुविधाएं मुहैया करायी जातीं तो यह न सिर्फ पूर्वांचल में आस्था का एक बड़ा केंद्र बनता, बल्कि हजारों परिवारों की जीविका का एक माध्यम भी होता। यह बात अलग है कि तमाम चुनावों में गोविंद साहब कभी भी दावेदारों के मुद्दो में शामिल नहीं हो पाया।
गोविंद मठ के मौजूदा महंत कोमलदास भी शासन-प्रशासन की उपेक्षा से नाराज हैं। उनका कहना है कि गोविंद साहब धाम की ओर जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मठ के नाम पर चुनाव में तो वादे तमाम होते हैं, लेकिन कुर्सी मिलने के बाद जनप्रतिनिधि इस तरफ ध्यान नहीं देते। यदि गोविंद धाम को अब तक पर्यटन स्थल का दर्जा मिल जाता और यहां जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करायी जातीं तो इससे पूर्वांचल में गोविंद साहब धाम की महत्ता और बढ़ती। नागरिकों के अनुसार पूर्व सांसद शरद त्रिपाठी के पत्र पर पर्यटन विभाग की टीम आयी थी। सर्वे भी किया गया था, परंतु इस बीच उनका निधन हो गया और सरकारी फाइलें गुम होकर रह गईं।
गोविंद धाम को मिले पर्यटन का दर्जा
स्थानीय डॉ. एसके राय, अधिवक्ता सुनीति द्विवेदी, सुरेंद्रनाथ उपाध्याय व सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार ने गोविंद साहब धाम को पर्यटन स्थल का दर्जा दिलानै की मांग की है। कहा कि यदि मठ को पर्यटन स्थल का दर्जा मिल जाएगा और जरूरी सुविधाएं यहां उपलब्ध हो जाएंगी तो यहां पर्यटकों की आमद बढ़ेगी। इसका लाभ समूचे आलापुर तहसील क्षेत्रवासियों को मिलेगा। साथ ही नागरिकों ने यह भी मांग की कि शासन को गोविंद साहब धाम को पर्यटन स्थल का दर्जा देने के साथ ही इसकी देखरेख प्रशासन के अधीन हो। नागरिकों के मुताबिक आपसी कलह के चलते गोविंद साहब धाम परिसर में बने मंदिरों की दुर्दशा हो रही है। काफी रकम मठ के खाते में जमा है, लेकिन आपसी खींचतान के चलते न तो सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है और न ही मंदिरों की ठीक से देखरेख हो पा रही है। ऐसे में जब पर्यटन स्थल घोषित होगा और प्रशासन देखरेख करेगा तो गोविंद साहब धाम तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा।
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