विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी फिर से मुकाबले में लौटने लगी
गिरजा शंकर विद्यार्थी ब्यूरों
अंबेडकरनगर। पंचायत चुनाव में लचर प्रदर्शन के बाद अब विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी फिर से मुकाबले में लौटती दिख रही है। इससे पहले कई कद्दावर नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद अपने गढ़ जनपद में पार्टी सिर्फ एक ब्लॉक में अपना प्रमुख बनवा पाई थी। जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए तो प्रत्याशी उतारने तक की स्थिति नहीं बन पाई। अब पाला बदल के बाद बसपा के लिए हालात चुनाव से पहले ही मैदान छोड़ देने जैसे नहीं रह गये हैं। पार्टी की तैयारी सभी पांच सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की है। हालांकि राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि पार्टी तीन सीटों पर ही लड़ाई को रोचक बनाने की स्थिति में है।29 सितंबर 1995 को अंबेडकरनगर जिला बनने के बाद से ही हर चुनाव में बसपा नेता ही जीतते रहे। मायावती ने भी जहांगीरगंज से विधानसभा सीट तथा अकबरपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की। तब से अंबेडकरनगर जनपद समूचे प्रदेश में बसपा के गढ़ के तौर पर पहचाना जाने लगा। जिले में बसपा को लगने वाले झटकों के चलते आमतौर पर यह माना जाने लगा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में बसपा किसी भी सीट पर मुकाबले में ही नहीं आ सकेगी। लेकिन स्थितियां तेजी से बदली हैं। दूसरे दलों से आए नेताओं के बूते पार्टी अब फिर से मुकाबले में खड़ी होती दिखने लगी है।कटेहरी से बसपा के टिकट पर विधायक बने लालजी वर्मा के सपा में शामिल होने के बाद अब यहां पूर्व विधायक पवन पांडेय के पुत्र प्रतीक पांडेय मैदान में हैं। अकबरपुर से बसपा के टिकट पर विधायक बने रामअचल राजभर के सपा में शामिल होने के बाद भाजपा छोड़कर आए पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष चंद्रप्रकाश वर्मा ने बसपा के टिकट पर मैदान संभाल लिया है। इन दोनों क्षेत्रों पर बसपा ने पूरा फोकस कर दिया है। जलालपुर में भाजपा छोड़कर आए दिवंगत पूर्व विधायक शेरबहादुर सिंह के पुत्र राजेश सिंह बसपा के टिकट पर ताल ठोंक रहे हैं। पार्टी ने आलापुर से केडी गौतम तथा टांडा से मनोज वर्मा को टिकट दे रखा है। पार्टी जिले की सभी पांच सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का दावा कर रही है।
इन्होंने छोड़ा बसपा का साथ
वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद पूरे जिले में बसपा के वरिष्ठ नेता माने जाने वाले आलापुर के पूर्व विधायक व पूर्व सांसद त्रिभुवनदत्त ने बसपा छोड़कर सपा की सदस्यता ले ली थी। उसी समय यह माना गया कि इसका असर न सिर्फ आलापुर सीट, वरन अकबरपुर, कटेहरी व जलालपुर समेत टांडा में भी देखने को मिलेगा। बीते दिनों विधानसभा चुनाव जब निकट आ रहे थे, तो अकबरपुर विधायक व बसपा में राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा चुके पूर्व मंत्री रामअचल राजभर, तो कटेहरी विधायक व बसपा के नेता विधानमंडल दल रहे लालजी वर्मा निकाले जाने के बाद सपा में शामिल हो गए। विधानसभा चुनाव की सक्रियता बढ़ने के बीच बसपा के टिकट पर सांसद बन चुके पूर्व विधायक राकेश पांडेय ने भी सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। नतीजा यह कि अलग-अलग सीट पर बसपा के जो कद्दावर नेता माने जाने थे, उनमें से ज्यादातर पार्टी छोड़ सपा के खेमे में आ गये।
कार्यकर्ताओं के दम पर है पार्टी
बहुजन समाज पार्टी की असली ताकत कार्यकर्ता व पार्टी प्रमुख बहन मायावती हैं। जनपद के प्रत्येक नागरिक को बसपा शासन में जिले को मिलीं उपलब्धियां, विकास कार्य तथा बेहतर कानून व्यवस्था का दौर याद है। नेताओं के आने-जाने सेे कोई फर्क नहीं पड़ता। बहन मायावती हमेशा कार्यकर्ताओं को महत्व देती हैं। आज भी एक-एक कार्यकर्ता व आम नागरिक बसपा के साथ खड़ा है। हम सभी पांच सीटों पर पूरे जोश व जीत के उद्देश्य से चुनाव लड़ेंगे। बसपा एक बार फिर से सभी पांच सीटों पर जीत दर्ज करेगी।
-घनश्याम चंद्र खरवार, मुख्य सेक्टर कोऑर्डिनेटर बसपा
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