बालू उठान कर चुकी फर्मों को लाभ पहुंचाने के लिए खनन विभाग अब नई तैयारी में जुटा है। जिन छह फर्मों की निविदा के हिसाब से काम करने की समय सीमा पूरी हो गई है। उनके लिए शासन से और वक्त मांगा जा रहा है। इसमें अधिकारियों की ओर भेजी गई रिपोर्ट में फर्मों की ओर से घाटे का तर्क भी दिया गया है, जबकि निविदा के बाद से ही गंगा किनारे मिले लाट के नाम पर कई फीट तक बालू की खोदाई कर दी गई है।
दरअसल, गंगा में सात किलोमीटर लंबी नहर के लिए शासन की ओर से 11 करोड़ रुपये जारी हुआ और इस नहर की खोदाई से निकले रेती से राजस्व का दावा किया गया। मगर, गंगा में आई बाढ़ में नहर के साथ उसमें से निकला पूरा रेती पानी में बह गया। मगर, इससे पहले प्रशासन ने सात फर्मों को नहर से निकले बालू के अलग-अलग सात लॉट एलाट किया था।गंगा पार रेती में बालू उठान के टेंडर के बाद खनन विभाग ने यहां निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं की। यही कारण है कि अब तक इसका आकलन नहीं किया गया है कि कितना बालू का उठान या अवैध खनन किया गया है। अब तक खनन विभाग के पास वैध या अवैध खनन को लेकर कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।बाढ़ हटने के बाद रेती उठान का काम पाने वाली फर्मों ने गंगा किनारे खोदाई शुरू कर दी। इसका नतीजा यह है कि अलग-अलग क्षेत्र में बड़े हिस्से में कई फीट तक गहरे गड्ढे हो गए हैं। दिसंबर तक पांच फर्मों की समय-सीमा पूरी हो गई और एक फर्म की समयावधि 27 जनवरी 2022 को पूरी हुई है। अब खनन विभाग में इन फर्मों ने और समय की मांग का पत्र भेजा है।

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