इंसान ही नहीं जानवर भी ठंड से परेशान हैं और बचाव के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं। सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलने पर आसपास घुमने वाले जानवर आकर आग के पास खड़े हो जाते हैं। अलाव लोगों के साथ-साथ जानवरों के लिए जीवन रक्षक साबित हो रहे हैं।
पारा धड़ाम होने से न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे पहुंच गया है।
इसकी वजह से इस समय हांड़कंपाऊ कड़ाके की ठंड व गलन पूरे दिन बरकरार रहती है। धूप न निकलने से मानवीय गतिविधियों पर काफी असर पड़ा है। पशु-पक्षी भी बेहाल देखे गए।
बुधवार को सुबह-शाम कोहरे की धुंध तो कम रही, लेकिन कड़ाके की सर्दी से जनजीवन बेहाल रहा।
जानवर भी इस सर्दी से बेहाल हैं और जहां पर भी अलाव जलता है वह उसी के आसपास खड़े हो जाते हैं जिससे उन्हें भी सर्दी से राहत मिल सके।
बस स्टेशन, प्रमुख चौराहों पर व लोगों द्वारा अपने घरों के सामने अलाव जलाने पर आसपास घुमने वाले जानवर आकर आग के पास खड़े हो जाते हैं।
कड़ाके की सर्दी में रात को आवारा मवेशी खुले आसमान से भागकर किसी मंदिर, दुकान, मकान की दीवारों व छज्जे के नीचे छुपते नजर आते हैं।
और अगर कहीं छुट्टा मवेशियों को कहीं अलाव जलता दिखाई पड़ जाए तो घंटों उसके देखकर नजदीक खड़े रहते हैं।
इतनी ठंडी रातों में इंसान तो अपने घर में रजाई में दुबक जाता है। लेकिन गली मोहल्लों व सड़कों पर बेसहारा घुमने वाले मवेशियों का क्या हाल होता होगा।
असग़र अली
उतरौला
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