उत्तर प्रदेश// चुनाव की तिथि करीब आ रही है जनसभा और भीड़ भाड़ के माध्यम से होने वाले प्रदर्शन और हो हल्ला पर कोरोना के दृष्टिगत पूरी तरह से रोक लगी हुई है।
रही सही कसर पार्टी के मुखिया टिकट वितरण में समय लेते हुए कर रहे हैं ऐसे में चाय की दुकानों, चौपालों पर पहले की तरह होने वाली चर्चा पर भी कयास लगातार लगाए जा रहे हैं।
कुछ टीवी चैनलों ने एक्जिट पोल के माध्यम से लगभग सभी विधानसभा सीट पर दलों के जीतने या हारने के आंकड़े पेश कर चुके हैं। ऐसे में अलग अलग दलों के लोग इसपर अपनी विविध प्रतिक्रिया देते हुए सहमति और असहमति अपने हिसाब से दे रहे हैं।
गोण्डा,बहराइच के कुछ सीटों पर कल सपा ने अपने प्रतियाशियो के नाम घोषित कर दिए हैं जनचर्चा के अनुसार ये ऐसे प्रत्याशी है जो जन क्षेत्रो से सशक्त रहे हैं या इनके कद का दूसरा उम्मीदवार सपा को नही मिल सका इसलिए इन सीटों को घोषित कर दिया गया है। गोण्डा सदर से सपा के कद्दावर नेता रहे पंडित सिंह के भतीजे सूरज सिंह, कटरा से वैद्यनाथ दूबे, कर्नलगंज से योगेश प्रताप सिंह, बहराइच के पयागपुर से मुकेश श्रीवास्तव, बहराइच से यासर शाह, नानपारा से माधुरी वर्मा सहित अन्य नामो की घोषणा हुई है लेकिन गोण्डा जिले के तमाम चर्चित सीटों जैसे मनकापुर ,मेहनवन तरबगंज,बलरामपुर के सदर गैसड़ी तुलसीपुर, उतरौला, श्रावस्ती के इकौना सहित तमाम सीट पर सपा भी असमंजस की स्थिति में ही यहां टिकट मांगने वाले नेताओं का कद य तो बहुत बड़ा ही य इनमें मुखिया को संदेह ही इसलिए काफी छान बीन के बाद टिकट वितरण की योजना पर कार्य हो रहा है।वहीं सत्ता में बैठी भाजपा काफी गहन छानबीन आंतरिक सर्वे और नेताओं के कार्यो के आकलन पर जुटी है आंतरिक सूत्रों की माने तो इस बार तमाम सिटिंग एमएलए के टिकट लगभग कटे माने जा रहे थे लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य के भगदड़ में कइयों पर कैंची शायद न चले।भाजपा के आंतरिक सर्वे में सैकड़ो विधायको के कार्य असंतोषजनक माने जा रहे थे वे पार्टी के सिंबल के दम पर नैया पार लगाने की जुगत में बैठे थे इसलिए इन्हें बैठाने की योजना पर चर्चा हो ही रही थी इसी बीच पार्टी में टूट ने झकझोर के रख दिया, हालांकि अभी कुछ के सीटें काटेंगे और कुछ के सीट को अदला बदली में रखा जाने का कयास लगाया जा रहा है।
बसपा इस बार उस जोश और जुनून से विधानसभा के समर में लोगों को उतरती नही नजर आ रही है लोगो के अनुसार इस बार भजपा और सपा में सीधा टक्कर हो सकता है।
फिलहाल दल कोई जीते टक्कर किसी मे हो लेकिन फिलहाल अभी तो जनता से लेकर प्रत्याशी और प्रतियाशियो के मुख्य विपक्षी मैदान में उतरने वाले मुख्य खिलाड़ी की थाह लेने में जुटे हैं।हालांकि इस सप्ताह में कई दलों के सूची जारी होने के अनुमान है लेकिन तमाम नेताओ का कहना है कि इस बार नेताओ को ज्यादा प्रचार करने का अवसर नही मिल सकेगा।एक तो कोरोना और दूसरी ओर पार्टियों की ओर से कैंडिडेट्स के नाम घोषित करने में देरी काफी अहम रोल अदा कर सकता हैं।
चूंकि तमाम दल अपने रणनीति के तहत विपक्षी पार्टी के कैंडिडेट के घोषित हो जाने के बाद जातिगत गुणा गणित लगाकर जिताऊ प्रत्याशी उतारने के फिराक में रहते हैं इसके चलते भी कैंडिडेट घोषित होने में देरी देखी जा सकती है वही है यह भी सच ही कि एकाएक चुनावी तिथि आने से दल पहले उन क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी उतारेगे जहाँ जल्दी के चरणों मे चुनाव होने हैं
उमेश चंद्र तिवारी
9129813351
हिन्दीसंवाद न्यूज़
भारत
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