*प्रेस नोट*
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*"भारत उत्थान न्यास के चतुर्थ स्थापना दिवस पर (आध्यात्म और राष्ट्रवाद) विषय पर केन्द्रित अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन"*
 

भारत उत्थान न्यास के चतुर्थ स्थापना दिवस पर (आध्यात्म एवं राष्ट्रवाद) विषय पर आधारित अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी: *"लघुकथा एवं काव्यपाठ"* के

आज भारत उत्थान न्यास ने अपना चतुर्थ स्थापना दिवस विश्व के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविदों के साथ वर्चुअल माध्यम से मनाया। न्यास के राष्ट्रीय संरक्षक और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डॉ. उमेश पालीवाल ने बताया कि 'आध्यात्म' मनुष्य के जीवन में शांति स्थापित करने के साथ अनेकों विकारों से मुक्त करता है। और 'राष्ट्रवाद' विषय हमारे राष्ट्रीय जीवन को देशहित में समर्पित करने के लिए प्रेरित करता है।  इसलिए इन महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित आज इस आयोजन को किया गया जिससे नागरिकों को प्रेरित कर उनकी वैचारिक शक्ति को राष्ट्र निर्माण की ओर अग्रसर किया जा सके।
विशिष्ट अतिथि, इन्दु नांदल ने जर्मनी से अपनी कविता "आओ सबको  दिखलाते हैं झाँकी  हिन्दुस्तान की, इस माटी से तिलक करो, ये धरती है श्री राम की। सुनाकर सभी को आनंदित किया। केन्या से डॉ. वैशाली शाह ने कहा कि हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में पश्चात् संस्कृति की छाप दिखाई देती है। आज आवश्यकता है कि भारतीय भोजन, आयुर्वेद,  सांस्कृतिक गतिविधियां व पहनावे को एक ब्रांड के रूप में अखिल विश्व में स्थापित किया जाय। 
सिंगापुर से चित्रा गुप्ता ने 'ममता महाठगिनी' कहानी के पात्र सीता के माध्यम से मां और बेटी के अटूट रिश्ते पर प्रकाश डाला। आबूधाबी में 14 वर्षों से हिन्दी पढा रहीं डॉ. ललिता मिश्रा ने आध्यात्म और राष्ट्रवाद को एक दूसरे का पूरक बताया। उन्होंने कहा कि आज अधिकारों की सभी बात करते हैं लेकिन कर्तव्य का निर्वहन करने में बहुत पीछे हैं। जिस दिन हम अपने कर्त्तव्य का पालन ठीक प्रकार से करने लगेंगे उस दिन भारत की प्रगति और तीव्र गति से होगी। विशिष्ठ वक्ता के रूप में डॉ. माहे तलत सिददकी, कानपुर, वर्षा कुलदीप प्रभुगांवकर, गोवा, डॉ. सोना अग्रवाल, राजस्थान, पुष्पा खेमका, गुवाहाटी, माला श्रीवास्तव, ग्वालियर, उमा सिंह, झांसी, कंचन शर्मा कौशिका, गुवाहाटी, डॉ. मधु भार्गव, कानपुर, साधना मिश्रा 'लखनवी' लखनऊ, रजनीकांत झा, बंगलौर, अमिता शर्मा, हैदराबाद, डॉ. आनंदेश्वरी अवस्थी, लखनऊ, डॉ. श्रीकांत शुक्ला, सतना ने उच्च कोटि की कहानी और कविताएं प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं में जोश भरा। संगोष्ठी की शुरुआत डॉ. रोचना विश्नोई द्वारा प्रस्तुति गणेश वंदना और कल्पना पांडेय के स्वागत भाषण से हुई। सुजीत कुंतल ने संचालन व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शशि अग्रवाल ने किया। यहां अशोक कुमार गुप्ता, डॉ. नवीन मोहनी निगम, संजय कुमार मिश्रा, डॉ. अलका सक्सेना, डॉ. अनिता निगम, डॉ. रचना पांडेय, रमा चतुर्वेदी, अलका रानी,  विकास रोहतगी, वीरेन्द्र ठाकुर, चिरंजीव राव लिंगम, सरोज जालान, सत्या भात्रा, डॉ. दिनकर त्रिपाठी, आदि ने भागीदारी की।

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