*आकाश में जब तिरंगा लहराता*
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जब कोयल गीत सुनाती है।
जब भंवरा नगमे गाता है।।
पुरवाई शौर मचाती है।
जब बादल झूम के आता है।।
जब बात निकलती है हर सू ।
दिलदारों की मतवालों की।।
जब याद सताती है हमको।
इस देश पे भरनें वालों की।।
तोपों के दहन खुल जाते हैं ।
बंदूके गरजनें लगती है ।।
आकाश का दिल थर्राता है।
धरती भी गरजने लगती है।।
"आज़ाद" तिरंगी झंडा यू।
आकाश में फिर लहराता है।।
गणतंत्र दिवस के मौके पर।
हम सब का मान बढ़ाता है।।
*डा.महताब अहमद आज़ाद*
उत्तर प्रदेश
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