महामाया मेडिकल कॉलेज में गंदगी का अंबार 
        गिरजा शंकर गुप्ता ब्यूरों
अंबेडकरनगर। मेडिकल कालेज में साफ-सफाई से लेकर इलाज और खानपान तक की व्यवस्था हैरान करने वाली है। शाम होते ही यहां पूरे परिसर में अंधेरा पसर जाता है। आपात स्थिति में आने वाले मरीजों-तीमारदारों को इमरजेंसी वार्ड तक खोजना मुश्किल हो जाता है। परिसर में कहीं भी अलाव या रैनबसेरे की व्यवस्था न होने से इस कड़कड़ाती ठंड में लोग कांपते दिखते हैं। रविवार शाम करीब सात बजे हिंदी संवाद की टीम ने यहां की पड़ताल की तो यह तल्ख सच्चाई सामने आई। मरीजों की सुविधा के लिए लगे आधा दर्जन से ऊपर लिफ्ट खराब पड़े मिले। इनमें से अधिकांश लगने के बाद से ही नहीं चले। दीवारों पर जगह-जगह पान की पीक नजर आई। कर्मचारियों की मनमानी और लापरवाही की हद तो यह कि प्रसूता वार्ड में ही एक किनारे प्लास्टिक के थैले में भरे कूड़े के ढेर मिले। इससे दुर्गंध उठ रही थी। मरीज और तीमारदार इसी हवा में सांस लेने को मजबूर दिखे। वार्डों में भर्ती मरीजों के सगे-संबंधी फर्श पर ही रात काटने की व्यवस्था करते मिले।पौष्टिक आहार का नामोनिशान नहीं: अस्पतालों में भर्ती प्रसूता महिलाओं को नाश्ते में दूध, दलिया, मक्खन, ब्रेड और पोहा दिए जाने का प्रविधान है, जबकि दिन के भोजन में रोटी-दाल, चावल, दही, सलाद और मौसमी सब्जियां शामिल होनी चाहिए। इसी तरह रात के खाने में सेब, संतरा, केला आदि कोई फल होना चाहिए, लेकिन राजकीय मेडिकल कालेज में भर्ती प्रसूताओं को महज रोटी-दाल और चावल देकर बहलाया जा रहा है। यहां के प्रसूति वार्ड में भर्ती महिलाओं ने बताया कि उन्हें फल, घी या पौष्टिक आहर नहीं दिया जा रहा। भोजन की गुणवत्ता भी सही नहीं रहती। इसे खाने का मन नहीं करता, लेकिन मजबूरी में इसी से काम चलाना पड़ता है। बच्चा पैदा होने के बाद चार दिनों से भर्ती हूं। रोटी, चावल, दाल दोनों समय मिलता है। दूध या फल नहीं मिलता है। हमें जानकारी भी नहीं है कि यहां दूध मिलता है।प्रेमा देवी, प्रसूता कई दिनों से भर्ती हूं, लेकिन कभी फल या दूध नहीं मिला। दवाइयां मिल रही हैं, डाक्टर समय-समय पर आकर देखते हैं। ठंड से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है।बदामा देवी, प्रसूता ठंड में बहुत दिक्कतें हैं। भोजन की गुणवत्ता और साफ-सफाई का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। फल व कोई भी पौष्टिक आहार नहीं मिल रहा। दोनों समय रोटी-दाल और चावल देकर चले जाते हैं।ऊषा, प्रसूता रैनबसेरे की नहीं व्यवस्था: मेडिकल कालेज में रैनबसेरा न होने से तीमारदारों को इस कड़कड़ाती ठंड में बाहर खुले आसमान के नीचे या वार्डों में फर्श पर रात गुजारनी पड़ रही है। पूरे परिसर में कहीं अलाव की भी व्यवस्था नहीं है, इससे लोग परेशान नजर आए।
बदहाल शौचालय: वार्ड के बाहर बने शौचालय की साफ-सफाई न होने से तेज दुर्गंध आ रही थी। शौचालय का पानी बाहर तक फर्श पर फैला था। पानी के लिए लगी टोटियां कहीं टूटी तो कहीं स्थाई तौर पर बंद मिलीं। स्वच्छता अभियान यहां सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आया। कालेज परिसर में एलईडी बल्ब लगे थे, इनमें से कुछ खराब हो गए हैं। उनके स्थान पर ट्यूबलाइट लगाई जा रही है। एक मरीज के साथ एक तीमारदार को भी भोजन उपलब्ध कराया जाता है। मरीज की स्थिति पर स्पेशल डाइट में दूध-पनीर आदि दिया जाता है। सभी प्रसूताओं के लिए दूध की व्यवस्था नहीं होती। परिसर में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराने की व्यवस्था की जा रही है। 100 बेड का रैनबसेरा बनाए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, इसे मंजूरी मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा।

डा. संदीप कौशिक, प्राचार्य, मेडिकल कालेज

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