औरैया // आलू की फसल में आने वाली प्रमुख बीमारियों एवं कीटों की रोकथाम हेतु जनपद के परवाह गाँव में स्थित सरपंच समाज कृषि विज्ञान केंद्र के पौध संरक्षण विशेषज्ञ अंकुर झा ने बताया कि किसान भाई अपनी आलू की फसल में बीमारियों एवं कीटों की रोक थाम हेतु निम्नलिखित उपाय करें जिससे आलू की फसल में बीमारियों एवं कीटों का प्रकोप न होने पाए अगेती झुलसा रोग एवं आलू की फसल में झुलसा रोग की रोकथाम हेतु खाद व पानी को रोक कर मैंकोजेब अथवा मेटालैक्सिल +क्लोरोथालोनिल अथवा कॉपर हाइड्रॉक्साइड को 30 ग्राम एवं स्ट्रेप्टोसेसिक्लिन 2.5 ग्राम को 15 लीटर पीनी मे घोल कर शाम के समय छिड़काव करें एवं रोग के नियंत्रण होने पर 4-5 दिन बाद खाद व पानी का प्रयोग करें तना गलन रोग- आलू की फसल में तना गलन रोग की रोकथाम हेतु खाद वह पानी को रोक कर सांयकाल में टूबेकोनाजोल नामक दवा को 30 ग्राम को प्रति 15 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें आलू में सड़न- इस रोग की रोकथाम हेतु फिनामिडॉन और मैंकोजेब नामक दवा को 30 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर शाम के समय छिड़काव करें।
मकड़ी (माइट्स)- यह एक छोटे प्रकार की मकड़ियाँ होती हैं लाल से भूरे या काले रंग की होती है। जो पत्तियों एवं शाखाओं से रस चूसकर उन्हे कमजोर बना देती हैं एवं पौधा सड़ने व सूखने लगता है इसकी रोकथाम हेतु स्पायरोमेसीफिन अथवा ओमाइट अथवा कोई अन्य माइटीसाइड 5-8 मिली. प्रति 15 ली. पानी में घोलकर शाम के समय छिड़काव करें।
स्टेम बोरर/ जड़ की सूड़ी- आलू की फसल में (स्टेम बोरर/ जड़ की सूड़ी) की रोकथाम हेतु समय-समय पर कीटनाशक रीजेंट दानेदार दवा को 8 से 10 किलो ग्राम को शायंकाल के समय खेत में भुरकाव करें।
ब्यूरो रिपोर्ट - जे एस यादव
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