गृह एवं सहकारिता मंत्री, भारत सरकार ने सहकार भारती के 7वें राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन किया भविष्य में अर्थतंत्र को गति देने में सहकारिता की बड़ी भूमिका, सहकारिता से ही देश के हर व्यक्ति का सम-विकास किया जा सकता है: गृह एवं सहकारिता मंत्री, भारत सरकार सहकारिता के माध्यम से छोटे से छोटे व्यक्ति की आय बढ़ायी जा सकती है, आर्थिक विकास में हर व्यक्ति का योगदान हो और उसका फायदा भी उन्हें प्राप्त हो, यह सहकारिता से ही सम्भव सहकारिता के क्षेत्र में नये-नये आयाम जोड़ने के लिए एक टास्क फोर्स कार्य कर रही सहकार भारती सहकारिता की भावना को मूलरूप से संवर्धित करने वाली एक मात्र राष्ट्रीय संस्था, इसका उद्देश्य सहकारिता की भावना तथा सहकारिता आन्दोलन को मजबूत बनाना सहकारिता के लिए कार्य करने वाले लोगों को यह याद रखना चाहिए कि वे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ कार्य कर रहे वर्तमान में देश में कृषि फाइनेंस में 19 से 22 प्रतिशत, खाद के उत्पादन में 25 प्रतिशत, चीनी उत्पादन में 31 प्रतिशत, दूध की खरीद व उत्पादन में 20 प्रतिशत, गेहूं की खरीद में 13 प्रतिशत, धान की खरीद में 30 प्रतिशत योगदान सहकारी क्षेत्र का लिज्जत पापड़, अमूल दूध, इफ्को, कृभको आदि सहकारिता के सफल मॉडल, इन सहकारी मॉडल्स की देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका सहकारिता भारत के संस्कारों में, यह भारत की आत्मा: मुख्यमंत्री आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहकारिता आन्दोलन का बड़ा योगदान हो सकता है सहकार बिना संस्कार नहीं तथा संस्कार बिना सहकार नहीं होता, संस्कार है तो संस्कृति है, संस्कृति से राष्ट्र की एकता व अखण्डता सुनिश्चित होती है प्रधानमंत्री जी ने देश को प्रत्येक क्षेत्र में एक नई दृष्टि दी, देश के मानस को बदलने तथा भारतीय राजनीति को विश्वसनीयता का प्रतीक बनाने का अभिनन्दनीय कार्य किया लखनऊ: 17 दिसम्बर, 2021: गृह एवं सहकारिता मंत्री, भारत सरकार श्री अमित शाह ने आज यहां सहकार भारती के 7वें राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सहकार भारती के 7वें राष्ट्रीय अधिवेशन में 600 जिलों से 3,000 प्रतिनिधि आए हैं। यह सहकार भारती के प्रसार की गति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सहकार भारती सहकारिता की भावना को मूलरूप से संवर्धित करने वाली एक मात्र राष्ट्रीय संस्था है। इसका उद्देश्य सहकारिता की भावना तथा सहकारिता आन्दोलन को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि सहकारिता के लिए कार्य करने वाले लोगों को यह याद रखना चाहिए कि वे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ कार्य कर रहे हैं। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारी आन्दोलन को मजबूत बनाने की मांग काफी समय से हो रही है। इसके लिए केन्द्रीय मंत्रालय के गठन की आवश्यकता थी, जो सहकारिता आन्दोलन को पुनः प्रासंगिक बनाने के लिए कार्य करे। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारत सरकार में सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि प्रधानमंत्री जी ने मुझे प्रथम सहकारिता मंत्री बनने का अवसर दिया। सहकारिता आन्दोलन को आगे ले जाना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि लिज्जत पापड़, अमूल दूध, इफ्को, कृभको आदि सहकारिता के सफल मॉडल हैं। इन सहकारी मॉडल्स की देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में कृषि फाइनेंस में 19 से 22 प्रतिशत, खाद के उत्पादन में 25 प्रतिशत, चीनी उत्पादन में 31 प्रतिशत, दूध की खरीद व उत्पादन में 20 प्रतिशत, गेहूं की खरीद में 13 प्रतिशत, धान की खरीद में 30 प्रतिशत योगदान सहकारी क्षेत्र का है। इसका मुनाफा किसी एक व्यक्ति के खाते में नहीं, करोड़ों छोटे-छोटे लोगों के खाते में जाता है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भविष्य में अर्थतंत्र को गति देने में सहकारिता की बड़ी भूमिका होनी है। सहकारिता से ही देश के हर व्यक्ति का सम-विकास किया जा सकता है, जो न साम्यवाद से न ही पूंजीवाद से सम्भव है। सहकारिता के माध्यम से छोटे से छोटे व्यक्ति की आय बढ़ायी जा सकती है। आर्थिक विकास में हर व्यक्ति का योगदान हो और उसका फायदा भी उन्हें प्राप्त हो, यह सहकारिता से ही सम्भव है। देश में कई राज्यों यथा गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक में सहकारिता आन्दोलन काफी अच्छे ढंग से चल रहा है। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में भी सहकारिता के क्षेत्र में अब सुधार हुआ है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकार भारती ने सहकारिता आन्दोलन को तेजी से आगे बढ़ाया है। संस्था को समितियों के गठन के माध्यम से सहकारी आन्दोलन को गांव-गांव तक ले जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सहकार भारती द्वारा राज्यों को सहकारिता की दृष्टि से विकसित, विकासशील व अविकसित की श्रेणी में वर्गीकृत कर सहकारिता का प्रसार करना चाहिए। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि वर्तमान केन्द्र सरकार व्यापक विचार-विमर्श के बाद एक नई सहकारी नीति लाने के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि पैक्स कृषि व्यवस्था की आत्मा है। पैैक्स के कम्प्यूटरीकरण का कार्य भी प्रारम्भ किया जाएगा। स्थानीय भाषा में सॉफ्टवेयर का निर्माण कर प्राथमिक से लेकर शीर्ष स्तर तक की सहकारी संस्थाओं को जोड़ा जाएगा। मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के नॉर्म्स में शीघ्र संशोधन किया जाएगा। उन्होंने सहकारिता में प्रशिक्षण पर बल देते हुए कहा कि प्राथमिक सदस्य के स्तर पर प्रशिक्षण से ही समितियां जवाबदेह बनेंगी। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में नये-नये आयाम जोड़ने के लिए एक टास्क फोर्स कार्य कर रही है। कुछ समय में इसका मसौदा सामने आएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ऑर्गेनिक खेती में वृद्धि हो रही है। इसका फायदा सामान्य किसान को प्राप्त हो, इसके लिए सहकारिता को आगे आना होगा। प्रथम चरण में इस क्षेत्र में 02 राज्यों में कार्य किए जाने की योजना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश भारत की आत्मा का प्रदेश है। यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन जन्मभूमि, बाबा विश्वनाथ का पावन धाम, भगवान कृष्ण की पावन जन्मभूमि व लीलाभूमि, गंगा-यमुना व सरस्वती का संगम तथा विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक व सांस्कृतिक आयोजन कुम्भ की धरती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारिता भारत के संस्कारों में है। यह भारत की आत्मा है। सही मायने में इसके दर्शन, गांव-गांव में होने वाले आयोजन, जिनमें शासन-प्रशासन की सहभागिता नहीं होती तथा हर व्यक्ति अपनी योग्यता व क्षमता के अनुसार योगदान करता है, में होती है। उत्तर भारत में होने वाले यज्ञ के आयोजन इसके आदर्श उदाहरण हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश व बिहार राज्य के गांवों में यज्ञ गांव वालों के सहयोग से आयोजित किए जाते हैं। इसमें किसी एक व्यक्ति की पूंजी स्वीकार नहीं होती, बल्कि गांव का हर परिवार अपनी क्षमता के अनुरूप योगदान करता है। गांव का किसान, मजदूर, पुरोहित, पुरुष, महिला आदि सभी अपनी योग्यता व क्षमता से योगदान करते हैं। बिना किसी भेदभाव के होने वाले यह आयोजन सफलता की ऊंचाई भी प्राप्त करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकार बिना संस्कार नहीं तथा संस्कार बिना सहकार नहीं होता। संस्कार है तो संस्कृति है। संस्कृति से राष्ट्र की एकता व अखण्डता सुनिश्चित होती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने देश को प्रत्येक क्षेत्र में एक नई दृष्टि दी है। उन्होंने देश के मानस को बदलने तथा भारतीय राजनीति को विश्वसनीयता का प्रतीक बनाने का अभिनन्दनीय कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने सहकार भारती द्वारा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को अपने 79वें अधिवेशन के लिए चुनने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी ने सहकार भारती की मांग पर भारत सरकार में सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। सहकारिता के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले देश के गृह मंत्री को इस मंत्रालय का दायित्व देकर उन्होंने सहकारिता आन्दोलन को नई ऊंचाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहकारिता आन्दोलन का बड़ा योगदान हो सकता है। सभी के समन्वित प्रयास से कोरोना के विरुद्ध संघर्ष किया गया। प्रधानमंत्री जी के जनता कर्फ्यू के आह्वान पर देश की एकता ने दर्शा दिया कि भारत कोरोना का प्रभावी ढंग से सामना कर लेगा। कोरोना संक्रमण के विरुद्ध देश के सफल संघर्ष ने दुनिया को भी दृष्टि दी है। सहकारिता आन्दोलन के साथ हर किसान, पशुपालक, बैंकिंग संस्थाओं आदि को जोड़कर कार्य करने से यज्ञ के प्रतिफल के रूप में प्राप्त होने वाली सिद्धि की भांति सफलता प्राप्त होगी। कार्यक्रम को सहकार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ0 उदय जोशी ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम के दौरान स्मारिका ‘सहकार सुगंध’, सहकार भारती छत्तीसगढ़ के सदस्य श्री पुष्कर तिवारी द्वारा रचित गीत ‘सामाजिक जीवन को अर्थ देती है.......सहकार भारती’ तथा राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम द्वारा मत्स्य पालन के क्षेत्र में सहकारिता को प्रोत्साहित करने के लिए निर्मित 05 वीडियो का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्य मंत्री श्री बी0एल0 वर्मा, प्रदेश के सहकारिता मंत्री श्री मुकुट बिहारी वर्मा, सांसद श्री संतोष गंगवार, सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रमेश वैद्य सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। --------

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