*सामयिक कीट, रोग एवं खरपतवार प्रबन्धन करके उत्पादन में होने वाली क्षति को 30 प्रतिशत तक रोका जा सकता है तथा कृषकों की आय में की जा सकती है बढ़ोत्तरी -जिला कृषि रक्षा अधिकारी*

दिनांक 03 दिसम्बर, 2021

बलरामपुर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी डाॅ0 इन्द्रेषु कुमार गौतम ने किसान भाइयों को सूचित करते हुये बताया कि जनपद में गेंहूॅ एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है। इसमें लगने वाले सामायिक कीट, रोग एवं खरपतवार प्रबन्धन करके उत्पादन में होने वाली क्षति को 30 प्रतिशत तक रोका जा सकता है तथा कृषकों की आय की बढ़ोत्तरी की जा सकती है।
               उन्होंने कहा कि भूमि एवं बीज शोधन- अनावृत्त कण्डुआ एवं करनाल बन्ट के नियंत्रण हेतु थीरम 75 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0 अथवा कार्वेण्डाजिम 50 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा0 बीज की दर से बीज शोधन कर बुआई करनी चाहिए। ब्यूवेरिया वैसियाना 1.15 प्रति0 की 2.5 किग्रा0 प्रति हे0 की दकरक से 60 से 70 किग्रा0 गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छीटा देकर 8 से 10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुआई के पहले आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देने से दीमक सहित भूमि जनित कीटों का नियंत्रण हो जाता है। भूमि जनित एवं बीज जनित रोगों से नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा विरडी 1 प्रति0 डब्ल्यूपी अथवा ट्राईकोरमा हारजेनियम 2 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 की 2.5 किग्रा0 मात्रा से 60 से 70 किग्रा0 गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छीटा देकर 8 से 10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुआई के पहले आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि खरपतवार प्रबन्धन- सकरी पत्ती वाले खरपतावार जैसे गेहूंसा एवं जंगली जेैई के नियंत्रण हेतु आईसोप्रोट्यूरान 75 प्रति0 डब्यू0पी0 1.25 किग्रा0 अथवा सल्फोसल्फ्यूरान डब्ल्यूजी0 33 ग्राम अथवा क्लोडिनाफाप प्रोपैरजिल 15 प्रति0 डब्ल्यूपी0 4 ग्राम मात्रा 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की  दर से बुआई के 20 से 25 दिन के बाद फ्लैटफैन नाजिल से छिड़काव करना चाहिए। चैड़ी पत्ती खरपतावार जैसे बथुआ, सेन्जी, कृष्णनील, हिरनखुरी, चटरी-मटरी, जंगली गाजर आदि के नियंत्रण हेतु 2-4डी0 सोडियम साल्ट 80 प्रति0 टेक्निकल की 625 ग्राम अथवा 2-4 डी0 मिथाइल एमाइन साल्ट 58 प्रति0 एस0एल0 1.25 लीटर मात्रा अथवा मेटसल्फ्यूरान मिथाइल 20 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 20 ग्राम प्रति हे0 की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति0 हे0 की दर से बुआई के 20 से 25 दिन के बाद फ्लैटफैन नाजिल से छिड़काव करना चाहिए।
कीट/रोग प्रबन्धन- दीमक एवं गुजिया वीविल के नियंत्रण हेतु क्लोरोपाइरीफास 20 प्रति0 ई0सी0 2.5लीटर प्रति हे0 की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए। पीली गेरुई सहिष्णु प्रदेश के तराई क्षेत्रों में आने वाले प्रकोप से बचाव के लिए प्रोपीकोनाजोल 500 मिली0 मात्रा को 500 से 600 ली0 पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से सुरक्षात्मक छिड़काव करना चाहिए। उन्होंने कृषक बन्धुओं को सलाह दी कि इस समय अपने खेत की सतत् निगरानी करते हुये रोग दिखने पर अपने नजदीकी कृषि रक्षा इकाई पर सम्पर्क करें, अथवा सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली के व्हाट्सएप् नम्बर 9452247111 या 9452257111 पर इसकी सूचना  तत्काल देकर समाधान/सलाह प्राप्त करें एवं किसी भी प्रकार फसलों की रोग/व्याधि/खरपतवार/कीड़े-मकौड़े के अधिक प्रकोप की स्थिति में जिला कृषि रक्षा अधिकारी के सी0यू0जी0 नम्बर-7839882249 पर समाधान प्राप्त कर सकते है।

आनन्द मिश्र
 बलरामपुर 

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