जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव की अध्यक्षता में आयोजित हुआ जागरूकता शिविर
बहराइच 14 नवम्बर। उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बहराइच के अध्यक्ष/जनपद न्यायाधीश सुरेन्द्र प्रसाद मिश्र के निर्देशानुसार अखिल भारतीय विधिक जागरुकता एवं बाह्य कार्यक्रम के तहत नालसा एण्ड एनसीडब्लू कोलाबोरेटिव प्रोजेक्ट अन्तर्गत महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य की पूर्ति हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बहराइच की सचिव श्रीमती शिखा यादव की अध्यक्षता में लहर सिलाई सेण्टर निकट रिसिया पार्क में महिलाओं के लिये 04 घण्टे का विधिक जागरुकता/साक्षरता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महिला कल्याण अधिकारी श्रीमती रागिनी श्रीवास्तव, जिला समन्वय अधिकारी श्रीमती नीलम शुक्ला, ब्लॉक रिसिया की आंगनबाड़ी सुपरवाइजर श्रीमती मंजू, अधिवक्ता श्रीमती माधुरीलता मिश्रा व सुश्री रंजीता देवी, लहर परियोजना आगा खान फाउण्डेशन की संचालिका नीरजा रावत, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां, आशा बहुएं एवं महिलाएं आदि उपस्थित रहीं।
कार्यम को सम्बोधित करते हुए सचिव श्रीमती शिखा यादव ने बताया कि प्रत्येक महिला निःशुल्क विधिक सहायता की पात्र हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा व दहेज से पीड़ित महिलाएं अपनी आवाज उठाएं तथा इसकी शिकायत नजदीकी थानों के अतिरिक्त प्रार्थना पत्र के माध्यम से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बहराइच में दे सकती हैं। साथ ही हर व्यक्ति घर बैठे नालसा मोबाईल एप्प के माध्यम से विधिक सहायता हेतु निःशुल्क आवेदन कर सकता है। श्रीमती यादच ने बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत यदि कोई भी भ्रूण के लिंग की जांच करवाता है या करता है या भ्रूण हत्या करता है तो उनके लिये कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है।
सचिव श्रीमती यादव ने बताया कि समान कार्य पर महिलाओं को पुरुषों के समान वेतन पाने का अधिकार, विशेष अनुमति के अतिरिक्त सूर्यास्त के बाद व सूर्योदय से पहले गिरफ्तार न किये जाने का अधिकार, गिरफ्तारी के समय वकील से परामर्श लेने व अपने नजदीकी रिश्तेदारों को सूचित किये जाने का भी अधिकार है। उन्होंने महिला हेल्पलाइन न. 1090 तथा जिला प्राधिकरण द्वारा संचालित उ.प्र. पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना, निःशुल्क अधिवक्ता प्रदान किये जाने की प्रक्रिया के बारे में बताया। कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक शोषण न हो, इसके लिये हर विभाग में आन्तरिक समिति होती है, जिसकी अध्यक्ष एक महिला होती है।
महिला कल्याण अधिकारी श्रीमती रागिनी श्रीवास्तव द्वारा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, उ.प्र. रानी लक्ष्मी बाई महिला एवं बाल सम्मान कोष योजना, दहेज से पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता योजना, बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ योजना, स्पॉन्सरशिप एवं फोस्टर केयर स्कीम आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गयी। अधिवक्ता सुश्री रंजीता देवी द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं को बाल विवाह विषय पर जागरुक करते हुये बताया गया कि भारत देश में लड़की के विवाह की उम्र 18 वर्ष व लड़के के विवाह की उम्र 21 वर्ष है, का कानून है। इससे पूर्व लड़का-लड़की का विवाह करना, एक गैर कानूनी अपराध है। जबकि श्रीमती माधुरीलता मिश्रा द्वारा महिलाओं को थानों पर कम्पलेन्ट आदि प्रस्तुत करने हेतु क्या प्रावधान है व इस संबंध में उनके अधिकारों के प्रति विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की गयी।
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