नहाय-खाय की रस्म के साथ चार दिवसीय डाला छठ पर्व सोमवार से शुरू हो गया। छठव्रती तीन दिवसीय व्रत का पालन नौ नवंबर की शाम खरना की रस्म निभाने के बाद शुरू कर देंगे। अस्ताचलगामी भगवान भस्कर को मुख्य अर्घ्य 10 नवंबर को दिया जाएगा।
कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को ‘नहाय-खाय के तहत सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र किया गया। मिट्टी के नए चूल्हे पर सेंधा नमक, घी मिश्रित अरवा चावल और कद्दू की सब्जी पकाई गई। फिर छठव्रतियों ने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत की। व्रतियों के बाद परिवार के अन्य सदस्यों ने भोजन ग्रहण किया। कार्तिक शुक्ल पंचमी नौ नवंबर को व्रतधारी दिनभर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन ग्रहण करेंगे। पूरे दिन उपवास के बाद प्रसाद रूप में भोजन ग्रहण करना ही ‘खरना कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के लोगों को भी निमंत्रित किया जाता है।
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