विद्यालयों को बनायेंगे आनंदघर : शैक्षिक संवाद मंच मंच की बैठक में शिक्षक-शिक्षिकाओं ने साझा किये अनुभव एवं कार्य योजना
बांदा। शैक्षिक संवाद मंच बांदा की बैठक सम्पन्न हुई। शामिल शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपने शैक्षिक अनुभव साझा करते हुए संवाद मंच के कार्यक्रमों, कार्यशालाओं एवं शिक्षकों की सक्षमता वृद्धि के लिए किये गये ठोस प्रयासों की सराहना की। संवाद मंच द्वारा विद्यालयों के आनंदघर के रूप में बदलाव के अभियान को समय की जरूरत बताया और आगामी योजनाओं पर चर्चा कर रणनीति बनायी।
       शैक्षिक संवाद मंच उ.प्र. की  बांदा इकाई द्वारा रविवार की शाम एक आनलाइन बैठक आयोजित की गयी जिसमें जनपद के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सहभागिता कर अपने शैक्षिक अनुभव किये। बैठक का आरम्भ निकहत रशीद के प्रेरक गीत, हम लोग हैं ऐसे दीवाने दुनिया को बदलकर मानेंगे, के सामूहिक गायन से हुआ। परस्पर परिचय उपरांत उपस्थित सहभागियों को सम्बोधित करते हुए संवाद मंच के संस्थापक प्रमोद दीक्षित मलय ने बताया ने बताया कि मंच की स्थापना 18 नवम्बर, 2012 को उच्च प्राथमिक विद्यालय बरेहंडा क्षेत्र नरैनी में 11 साथियों के साथ हुई थी। मंच विद्यालयों को आनंदघर के रुप में रूपांतरण करने के प्रति संकल्पित होकर काम कर रहा है। इसके लिए विद्यालय एवं समुदाय को एक साथ एक धरातल पर अवस्थित होकर परस्पर विश्वास एवं अपनेपन के भाव के साथ आगे बढ़ना होगा। एक दूसरे के सुख-दुख में सहभागी होना होगा।विद्यालय समाज का एक रचनात्मक, प्रेरक एवं ज्ञान साधना का स्थल है, ऐसा भाव जगाना होगा। इसके लिए समाज के साथ विभिन्न पर्व-त्योहार जैसे दीपोत्सव, होली, नाग पंचमी , हरियाली तीज, ईद-दशहरा मिलन, सहभोज के कार्यक्रम करने होंगे। प्रमोद दीक्षित ने आगे बताया कि मंच पढ़ने-लिखने की संस्कृति का पोषक है और पुस्तक संवाद करते हुए शिक्षकों एवं बच्चों में पुस्तक पढ़ने को बढ़ावा दे रहा है। साथ ही उनके शैक्षिक अनुभव एवं अन्य साहित्यिक विधाओं में रचनाएं लिखवाकर पुस्तक रूप में संग्रह भी निकाल रहा है। महकते गीत, पहला दिन, हाशिए पर धूप, कोरोना काल में कविता आदि संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। काव्य संग्रह 'प्रकृति के आंगन में' प्रेस में है। मंच एक शैक्षिक छमाही पत्रिका भी प्रकाशित करने वाला है। मंच विषयगत कार्यशालाएं भी आयोजित करता है। प्रत्येक विद्यालय से बच्चों द्वारा दीवार पत्रिका का प्रकाशन हो, इसके लिए संवाद मंच प्रदेश व्यापी अभियान चला रहा है। इस अवसर अनुभव साझा करते हुए रामकिशोर पांडेय ने कहा कि मंच के साथ जुड़कर अपने विद्यालय परिवेश को बाल मैत्री पूर्ण किया है। राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा में अब तक 64 बच्चे चयनित हो चुके हैं। इंसाफ अली ने कहा कि मंच ने मुझे एक बेहतर शिक्षक के रूप में विकसित किया है। बलरामदत गुप्त ने विचार रखे कि मंच की कार्यशालाओं से विज्ञान  को सहज और परिवेशीय वस्तुओं से पढ़ाना सीखा है। प्रथम संस्था के बाल विज्ञान खोजशाला के समन्वयक ने मंच के साथ पिछले पांच सालों में की गयी कार्यशालाओं एवं विज्ञान यात्राओं के रोचक अनुभव प्रस्तुत किये। पहली बार जुड़े निकहत रशीद, प्रमोद वर्मा एवं दीपिका वर्मा ने कहा कि साथियों की बातें सुनकर ऊर्जा एवं उत्साह का संचार अनुभव कर रहे हैं। बैठक में जनपद के विभिन्न ब्लाकों से पवन कुमार, चंद्रशेखर सेन, आकिब जावेद, सुनील श्रीवास्तव, मातादीन प्रजापति, अर्चना राय, संजय चौरसिया, हरवंश श्रीवास्तव, रोशन लाल, नम्रता श्रीवास्तव आदि शिक्षक-शिक्षिकाओं ने  सहभागिता की। सभी की सहमति से नवम्बर के अंतिम सप्ताह में तीन दिवसीय विज्ञान कार्यशाला एवं शोध मेला के आयोजन पर निर्णय हुआ।
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          रोशन कुशवाहा ( जिला संवाददाता  )
  ,          मो.📞..96285 11315

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