(जौनपुर): हाड़तोड़ मेहनत करके सबका पेट भरने वाला अन्नदाता अभी तक नीलगाय, बेसहारा पशुओं से ही परेशान था, लेकिन इस समय जंगली सुअर व बारहसिघा और हिरन भी परेशानी का कारण बन गए हैं। सई नदी के तटवर्ती गांवों के किसानों का कहना है कि इस समय नदी के किनारे यह आ गए हैं। जो गेहूं, अरहर की फली, मटर आदि फसलों को चर कर नष्ट कर दे रहे हैं। इनसे बचाव के लिए कहीं साड़ी का बाड़ तो कहीं खंभा-तार लगाया गया है। इसके साथ ही कुछ स्थानों पर किसान दिन-रात खेतों में बैठकर रखवाली में लगे हैं।
छोड़ दिए हैं कई फसलों की खेती
जंगली जानवरों से त्रस्त होकर नदी से लगभग चार किमी दूरी तक के अधिकांश किसान आलू, कंद और गन्ना की खेती करना बंद कर दिए हैं। उनका कहना है कि अब तो खेती करना ही घाटे का सौदा हो गया है। किसान रमापति यादव, सत्य प्रकाश यादव, धनौवा के धर्मेंद्र यादव, राजेपुर के ओम प्रकाश मौर्य, सकरा गांव के जगदीश पांडेय, चंद्रकांत, रविंद्र सिंह ने बताया कि इस समय नदी के किनारे सरपत के झुरमुट में जंगली सूअर व हिरन देखे जा रहे हैं। यह दिन में तो छिपे रहते हैं, लेकिन रात में निकलकर फसलों को चर कर बैठा दे रहे हैं। शिक्षक विजय प्रताप यादव ने बताया कि हमारे गांव शाहपुर में जंगली जानवर गेहूं की फसल चर कर नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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