तुलसीघाट पर सैकड़ों साल पुरानी परंपरा नागनथैया लीला सोमवार को फिर जीवंत हो उठी। शिव की नगरी काशी में गंगा जहां यमुना बनी वहीं कान्हा ने कालिया नाग का मर्दन कर बंशी बजाई। काशी के लक्खा मेले में शुमार नागनथैया लीला तुलसीघाट पर संपन्न हुई। शाम चार बजे अस्सी से तुलसीघाट, रिवाघाट तक हुजूम उमड़ पड़ा।घाट की सीढ़ी से लेकर छतों तक कहीं भी तिल रखने की जगह नहीं थी। करीब सवा चार बजे कान्हा ने कंदुक को यमुना में फेंक दिया। सखाओं के मना करने के बाद भी जिद पर अड़े कृष्ण कदंब की डाल पर चढ़कर नदी में कूद गए। कुछ क्षण में भगवान श्रीकृष्ण बंशी बजाते बाहर आए तो लोग प्रभु को देख गदगद हो गए। हरहर महादेव की गूंज, डमरू की गड़गड़ाहट आरती और भजन से पूरा वातावरण गुंजामय हो गया। कान्हा नदी में कालिया नाग के फन पर बैठकर भक्तों को दर्शन दिए। इस मेले में उमड़े लोगों ने अलौकिक क्षण को देखा और नजारे को अपने कैमरे और मोबाइल में कैद किया। बटुकों ने आरती उतारी और सभी लोगों ने उनके चरणों मे शीश नवाया।
संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो विशम्भर नाथ मिश्र और विजय नाथ मिश्रा ने भगवान श्री कृष्ण को माला पहनाकर नमन किया। दूसरी ओर बजड़े पर सवार महाराज काशी नरेश के प्रतिनिधि अनंत नारायण सिंह का लोगों ने स्वागत किया। सुरक्षा के लिए पुलिस, पीएसी और गंगा में एनडीआरएफ और जल पुलिस के जवान तैनात किए गए थे।
संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो विशम्भर नाथ मिश्र और विजय नाथ मिश्रा ने भगवान श्री कृष्ण को माला पहनाकर नमन किया। दूसरी ओर बजड़े पर सवार महाराज काशी नरेश के प्रतिनिधि अनंत नारायण सिंह का लोगों ने स्वागत किया। सुरक्षा के लिए पुलिस, पीएसी और गंगा में एनडीआरएफ और जल पुलिस के जवान तैनात किए गए थे।
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