बच्चों व गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से मुक्त रखने की जिम्मेदारी का निर्वहन करने वाले बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की स्थिति काफी दयनीय है। अधिकांश केंद्र ताले की जकड़ में हैं । जिम्मेदार सिर्फ कागजी कोरम पूरा कर सरकारी मंशा की इतिश्री कर दे रहे हैं।
गैड़ास बुजुर्ग विकास खंड में सिसकियां भर रहे बाल विकास से जरूरतमंद काफी निराश हैं । यहां के अधिकतर केंद्र प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में संचालित किए जा रहे हैं।
प्रभारी सीडीपीओ ममता गुप्ता ने बताया कि
विकासखंड गैड़ास बुजुर्ग मे कुल 164 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। 60 केंद्र आंगनवाड़ी केंद्र भवन में संचालित है। 85 परिषदीय विद्यालय में चल रहे हैं। पंचायत भवन, एनम सेंटर व अन्य स्थानों पर 6 केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। चार आंगनवाड़ी केंद्र निर्माणाधीन हैं। परिषदीय विद्यालयों में संचालित केंद्र के अलावा अन्य किसी केंद्र में बिजली व्यवस्था नहीं है। आंगनवाड़ी केंद्र के अपने भवन में शौचालय भी नहीं है। अधिकांश केंद्रों पर पेयजल की व्यवस्था उपलब्ध है। 37 आंगनवाड़ी केंद्र भवन जर्जर स्थिति में हैं। भूमि उपलब्ध ना होने के कारण लगभग 9 आंगनवाड़ी केंद्र भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है।
विकासखंड अंतर्गत कुल 31 आंगनवाडी कार्यकर्ता व 52 सहायिकाओं का पद रिक्त है। कुल 164 आंगनबाड़ी केंद्र में लगभग 25000 बच्चे पंजीकृत है।
असग़र अली
उतरौला
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