उतरौला(बलरामपुर) हजरत शेख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां (बड़े पीर ) की यौमे पैदाइश 'ग्यारहवीं शरीफ' के रूप में सोमवार को शहर में अदबो-एहतराम के साथ मनाया गया। मदरसा, मस्जिद व घरों में 'महफिल-ए-गौसुलवरा' का आयोजन कर नियाज़ फातेहा कराया गया।
सुबह फज्र की नमाज के बाद कुरआन ख्वानी, नियाज-फातिहा का सिलसिला शुरू हुआ जो पूरे दिन चलता रहा। कई जगह लंगर बंटा।
अंजुमन गुलामाने मुस्तफा दरगाह शाहजहानी कमेटी सदर नकी शाह एवं मुफ्ती जमील अहमद खान की जेरे कयादत में शाहजहानी शाह र.अ. की दरगाह से जुलूस-ए गौसिया निकाला गया।
इस्लामी लिबास कुर्ता पाजामा पहने सिर पर साफा टोपी, इस्लामी झंडा लिए "गौस का दामन नहीं छोड़ेगें"नारे तकबीर अल्लाह हू अकबर, हिन्दुस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते अकीदतमंदों का काफिला आकर्षण का केंद्र रहा।
मास्टर शबी अहमद खान एवं अन्य कई नातीया शायर का नात सुनकर जुलूस में शामिल अकीदत मन झूम उठे। जुलूस शाहजहानी दरगाह से हाटन रोड,जामा मस्जिद, गोण्डा मोड़, कर्बला पहुंचा जहां क्रमवार मौलाना आसिफ रजा एवं मौलाना गुलाम अहमद रजा ने खिताब फरमाते हुए कहा कि
आज हम अपने अकाबिर 'औलिया-ए-किराम' और बुजुर्गाने दीन यहां तक कि पैगंबर-ए-आजम के तरीके और वाकयात को सुनकर खुश हो लेते हैं लेकिन अपनी जिंदगियों से उसे छोड़ रखा है। और यह समझ लिया है कि यह सारी चीजें सिर्फ सुनाने के लिए हैं। अगर हम और आप
हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां अम्बिया अलैहिस्सलाम के सच्चे जानशीन हैं। इस्लाम व ईमान की रोशनी इन्हीं के जरिए से हम तक पहुंची है। अहकाम-ए-शरीयत का पालन कीजिए, जिंदगी संवर जायेगी।
जुलूस गोंडा मोड़, अंबेडकर चौराहा से श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहा पहुंचा जहां शहर काजी मुफ्ती जमील अहमद खान ने
हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की तालीम पर रोशनी डालते हुए कहा कि गौस पाक का मर्तबा बुलंद है। मां के शिकम (पेट) में ही उन्होंने कुरान को कंठस्थ कर लिया था। मां जब कुरान की तिलावत करती, वे याद करते थे। जब मां नेक होगी तभी बेटा हजरत गौस पाक जैसा होगा।
हिन्दुस्तान में ईमान व दीन-ए-इस्लाम बादशाहों के जरिए नहीं आया बल्कि हमारे इन्हीं बुजुर्गों, औलिया व सूफियों के जरिए आया है। जुलूस आगे बढ़कर
चांद मस्जिद से होता हुआ वापस शाहजहानी शाह की मज़ार पर पहुंचा जहां सलातो सलाम के बाद बिमार,परेशान, गरीब,यतीम,बेवा,मज़लूम, बेसहारा,लाचार एवं मुल्क की तरक्की, खुशहाली,आपसी भाईचारा,प्रेम, सौहार्द की दुआ करने के बाद जुलूस का समापन किया गया।
इस मौके पर महफूज गनी, सलमान जमशेद, चौधरी इरशाद अहमद गद्दी,जमील अहमद, हाफिज अब्दुल दय्यान,बाकर रज़ा, आमिर निजाम, मेराज अहमद, कलीम सिद्दीकी, अल्ताफ अहमद, मौलाना शोएब, तूफेल, रिजवान अहमद, जिलानी सहित सैकड़ों की संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।
असग़र अली
उतरौला
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