देश की प्रथम महिला वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की 186 जयंती शुक्रवार को उनकी जन्मस्थली पर धूमधाम से मनाई गई। जागृति फाउंडेशन एवं महारानी लक्ष्मीबाई जन्मस्थली स्मारक समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र, विशिष्ट अतिथि बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो. कौशल किशोर मिश्र एवं जागृति फाउंडेशन के महासचिव  रामयश  मिश्र ने महारानी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर समारोह का शुभारंभ किया इस अवसर पर प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने कहा कि झांसी की रानी काशी की बेटी थीं। हमें बहुत ही गर्व है की वह हमारे  मोहल्ले की थीं। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अपना अमूल्य योगदान दिया। उसका शब्दों में वर्णन नहीं कर सकते। रानी लक्ष्मीबाई के दिखाए हुए रास्ते पर चलकर ही देश स्वतंत्र हुआ। प्रो. कौशल किशोर मिश्र ने कहा कि महारानी लक्ष्मीबाई ने झांसी में अंग्रेजों के सामने समर्पण करने से मना करते हुए कहा कि मैं जिंदा रहते हुए अपनी झांसी किसी को नहीं दूंगी। उसी का परिणाम रहा कि हमारा देश स्वतंत्र हुआ और हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं। जागृति फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी से अपील की कि वह वाराणसी से बुंदेलखंड को जाने वाली बुंदेलखंड एक्सप्रेस का नाम बदलकर उसे वीरांगना एक्सप्रेस के नाम से चलाएं। समारोह में प्रभुदत्त त्रिपाठी, हृदय नारायण मिश्र, राजेश मिश्रा, सत्यांशु जोशी, प्रताप बहादुर सिंह,हरिनाथ गौड़ प्रमुख रूप से उपस्थित थे। धन्यवाद विश्वनाथ यादव ने किया।

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