*ब्रह्मलीन महंत महेंद्र नाथ जी को मुख्यमंत्री योगी ने की श्रद्धांजलि अर्पित, कहा की महंत महेंद्र नाथ जी ने धर्मस्थल को लोककल्याण से जोड़ने किया कार्य*
*भारत व नेपाल आध्यात्मिक व सांस्कृतिक रूप से एक समान- माननीय मुख्यमंत्री *
*मां पाटेश्वरी देवीपाटन मंदिर भारत व नेपाल की संस्कृति को जोड़ने का एक है महत्वपूर्ण आधार- मुख्यमंत्री *
दिनांक-26 नवंबर 2021
श्री ब्रह्मलीन महंत महेंद्र नाथ जी की 21 वी पुण्यतिथि के शुभ अवसर पर मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन तुलसीपुर पर मुख्य अतिथि माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ द्वारा महंत महेंद्र नाथ जी को उनकी पावन पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
उन्होंने श्रद्धालुओं एवं आमजनमानस को संबोधित करते हुए कहा कि शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर आस्था के प्रतीक के साथ-साथ भारत और नेपाल की सांस्कृतिक स्वरूपों को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण आधार है। नवरात्रि के अवसर पर रतननाथ देवता जी की सवारी देवीपाटन तुलसीपुर आती है यह सवारी सामान्य सवारी ना होकर भारत और नेपाल के प्राचीन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने का एक माध्यम है, नेपाल और भारत दो देश है लेकिन उनकी आध्यात्मिक और संस्कृति एक है।
जैसे दो शरीर है लेकिन दोनों शरीरों में एक आत्मा निवास करती है और यही कारण है कि नेपाल का हर व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से भारत को देखता है तो उसे चार धाम नजर आते हैं, हर नेपालवासी मां गंगा का स्नान कर अपने जन्म को जीवन को धन्य करने का आनंद लेता है । हर भारत का वासी जब नेपाल में भगवान पशुपतिनाथ जी के मंदिर को देखता है तो उनकी इच्छा होती है कि भगवान पशुपतिनाथ जी का दर्शन अवश्य करें। भारत और नेपाल सांस्कृतिक रूप से एक है। मां पाटेश्वरी मंदिर भारत और नेपाल की एकता, सांस्कृतिक संबंधों को आगे बढ़ाने का माध्यम है।
भारत की व्यवस्था में हमारे, ऋषि-मुनियों,हमारे संतो ने पूरी व्यवस्था में जीवन को पुण्य एवं पाप के साथ जोड़ा है, जो अच्छा करेगा वह पुण्य का भागीदार होगा जो गलत करेगा वह पाप का भागीदार होगा। हमारे पाप के लिए अन्य कोई दूसरा जिम्मेदार नहीं होगा और उसका प्रतिफल उसी रूप में प्राप्त होता है।
यह पाप-पुण्य की अवधारणा लोगों को सत्य के रास्ते व धर्म के रास्ते पर चलने को प्रेरित करता है।
धर्म केवल एक उपासना या पूजा पद्धति नहीं है, बल्कि नैतिक मूल्यों को अपने अंदर धारण करना,जीवन में सत्य, न्याय के पथ का अनुसरण करना और जिस क्षेत्र में जो व्यक्ति है वह अगर अपने कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक पालन कर रहा है तो वही उसका धर्म है। धर्म केवल उपासना मात्र नहीं है धर्म हमें सदाचार, नैतिक मूल्य और अपने स्वयं के कर्तव्यों के प्रति निरंतर प्रेरित करता है।
भारतीय परंपरा किसी को कोई विशेष पूजा पद्धति का अनुसरण करने के लिए बाध्य नहीं करती है।
महंत महेंद्रनाथ जी ने गोरखपुर में गोरक्ष पीठ की परंपरा को देखा और वहां कार्य करने का अनुभव प्राप्त किया उन्होंने देखा की गोरखपुर में गोरक्षपीठ में दिग्विजय नाथ महाराज जी, अवैध नाथ महाराज जी के मार्गदर्शन में धर्मस्थल कैसे लोककल्याण के माध्यम बने, वहां पर 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के माध्यम से शिक्षा के लिए एक व्यापक अलख जगाने का कार्य किया गया। आज महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 50 से ज्यादा संस्थान कार्यरत है, 5 हजार से ज्यादा शिक्षक शिक्षण कार्य कर रहे हैं, 50 हजार से अधिक बच्चे इन संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा 1956 में पॉलिटेक्निक,1967 में पहला डिग्री कॉलेज की स्थापना के माध्यम से शिक्षा को बढ़ाने का कार्य किया गया।
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा गोरखपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए जमीन दान की गई।
किसी व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन करने और उसके जीवन को सही मार्ग पर ले जाने का शिक्षा एक एक सशक्त माध्यम है। गोरखपुर में गोरक्षपीठ द्वारा 1983-84 मे बनवासी छात्रों के लिए छात्रावास की स्थापना की गई जिसमें थारू जनजाति के छात्रों व नागालैंड,मिजोरम, मेघालय क्षेत्रों से जनजाति के छात्रों को शिक्षा प्रदान की जाती है, उसी तर्ज पर 1993-94 में थारू जनजाति छात्रावास की स्थापना हुई। वर्ष 2012 के बाद जनपद बलरामपुर के बच्चों को आधुनिक शिक्षा मिल सके इसके लिए देवीपाटन मंदिर में देवीपाटन विद्यालय की स्थापना की गई तथा देवीपाटन तुलसीपुर में थारू जनजाति छात्रावास की स्थापना की गई।
मंदिर का स्वरूप सेवा का माध्यम होना चाहिए इसी भावना के साथ महंत महेंद्र नाथ जी ने देवीपाटन तुलसीपुर में लोक कल्याणकारी कार्यों को प्रारंभ किया किया। वह निरंतर लोक कल्याणकारी पथ पर निरंतर आगे बढ़ते रहें, लोक कल्याण के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया, उन्होंने लोक कल्याण के लिए, मानवता के कल्याण के लिए,शिक्षण संस्थाओं की स्थापना के लिए, स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा के लिए, गौ सेवा के लिए मंदिर का स्वरूप किस रूप में हो इन सब के लिए विभिन्न कार्यों को आगे बढ़ाया, आज इन सब कार्यों का भव्य स्वरूप देखने को मिल रहा है।
माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जा रहा है आज ही के दिन 72 वर्ष पहले भारत ने अपना संविधान निर्माण के कार्य को पूरा किया था और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ।भारत का संविधान जाति , धर्म, नस्ल, लिंग के आधार पर अपने नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करता है एक समान अधिकार प्रत्येक नागरिक को देता है और उसी समान अधिकार की ताकत सबसे पास है वह वोट देने के अधिकार के रूप में है, यह वोट का अधिकार व्यक्ति के जीवन को, समाज के जीवन को, राष्ट्र के जीवन को बदल भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है यदि हम अच्छे लोगों को चुनेंगे तो अच्छी सरकारें बनेगी, विकास का कार्य होगा,सुरक्षा का माहौल बनेगा। लेकिन जब हम जाति के नाम पर, भाषा के नाम पर वोट देते हैं तो उसके बाद यह स्थितियां अन्य होती है, भ्रष्ट जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं। 2017 से पहले गोंडा से बलरामपुर आने में 3 घंटे व गोरखपुर से बलरामपुर आने में 6 घंटे लगते थे और आज गोरखपुर से जनपद बलरामपुर आने में मात्र ढाई से 3 घंटे लगते हैं, गोंडा से बलरामपुर मात्र 1 घंटे में पहुंचा जा सकता है।
आज जनता अंतर महसूस कर रही है, आज जनता को फ्री राशन, शौचालय, अच्छी सड़क, आवास, अच्छी स्वास्थ्य सुविधा, बेहतर सड़क के प्राप्त हो रही है।
इस अवसर पर राज्यमंत्री (होमगार्ड, सैनिक कल्याण, प्रांतीय सुरक्षा दल, नागरिक सुरक्षा विभाग) पल्टूराम, महंत देवीपाटन मंदिर मिथिलेश नाथ योगी , कथावाचक बालक जी महाराज, सांसद नेपाल अभिषेक, महंत नारायण नाथ , महंत कौशलेंद्र गिरी महाराज, विधायक तुलसीपुर कैलाश नाथ शुक्ल, माननीय विधायक शैलेश कुमार सिंह शैलू, विधायक उतरौला राम प्रताप वर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष आरती तिवारी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रावस्ती पूर्व सांसद दद्दन मिश्र व अन्य संबंधित/अधिकारी कर्मचारी, संतगण उपस्थित रहे।
उमेश चंद्र तिवारी
हिन्दीसंवाद न्यूज़
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