झाड़ू के बजाय अधिकारियों के घर की शोभा बढ़ा रहे है सफाई कर्मचारी, झाड़ू की जगह
गिरजा शंकर गुप्ता (ब्यूरों)
अंबेडकरनगर। सफाई कर्मी के बारे में बताने की जरूरत नहीं है कि उनके क्या काम है। वो अपना काम छोड़कर अधिकारियों के खास हो गए है। इसके चलते उनको सफाई करने के बजाए बाबूगिरी और उनके चालक की जिम्मेदारी मिल गई। सफाई कर्मचारियों की भर्ती का मुख्य उद्देश्य गांवों की गलियों को साफ सुथरा रखना था। लेकिन उद्देश्यों के इतर गांव में सफाई नहीँ हो रही है। वहाँ पहले जैसे हालात आज भी है। सफाई कर्मी को सरकार प्रति माह लगभग 25 हजार रुपये दिया जा रहा है।सरकार की मंशा थी कि सफाईकर्मी गांव और शहर की गलियों को साफ-सुथरा रखेंगे। लेकिन तैनात किए गए ज्यादातर सफाई कर्मियों ने झाड़ू छोड़ ऑफिस पकड़ ली है। जिले के अधिकांश सरकारी कार्यालयों में ये सफाई कर्मी ऑफिसों का काम कर रहे हैं।
यही नहीं कई सफाई कर्मी अंबेडकर नगर जिले में ऑफिसों में काम कर रहे हैं।सूत्रों के मुताबिक यह सब खेल मौखिक आदेश पर चल रहा है। केंद्र सरकार ग्रामीण स्वच्छता मिशन के तहत गांव में साफ-सफाई व्यवस्था चाक-चौबंद रखने के लिए अरबों रुपये पानी की तरह खर्च कर रही है। लेकिन इस अभियान में उनके मताहत ही बाधक बन रहे हैं। जिलेभर में आए दिन सफाई कर्मियों के गांव में न पहुंचने की शिकायत आम है। नियुक्ति के समय में स्पष्ट निर्देश था कि इन कर्मचारियों को किसी भी विभाग या कार्यालय में संबंद्ध नहीं किया जाएगा।ग्राम पंचायत में सफाई का काम न करना पड़े। इसके लिए सफाई कर्मियों ने अधिकारियों की आवभगत कर उनके चालक का काम कर रहे हैं। इस पर सभी चुप्पी साधे हैं। कुछ सफाई कर्मी तो ऐसे हैं जो ग्राम पंचायतों में न पहुंचने के कारण निलंबित हो चुके हैं। बसपा सरकार जाने के बाद ये खेल शुरू हुआ। इस संबंध में कोई भी अधिकारी खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।विभाग के जानकारों का कहना है कि अधिकांश सफाई कर्मचारी अधिकारियों की मेहरबानी पर मौखिक रूप से काम कर रहे हैं।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know