डाला छठ की व्रती महिलाओं ने गन्ने के मंडप में बैठकर विधि-विधान से छठी मइया का पूजन कर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संतान की कुशलता, पति की चिरायु और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना किया। पूजन के बाद ठेकुआ, मिष्ठान व खजूर खाकर जल ग्रहण करते हुए 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण किया सूर्यदेव को अर्घ्य देने से पहले व्रती महिलाओं की मांग में सौभाग्य के प्रतीक सिंदूर की भराई हुई। बड़ी महिलाओं ने उम्र से छोटी स्त्रियों की मांग में सिंदूर भरकर सदा सुहागन रहने का आशीष दिया व्रती महिलाओं ने घर से घाट तक का सफर छठी मइया का गीत गाते हुए पूरा किया। ढोल-ताशा जैसे वाद्ययंत्रों के वादन के बीच गीत गाते हुए पग बढ़ा रही थी। घाट पर पहुचने पर पूजन के दौरान भी ढोल-ताशा बजता रहा
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