महेश अग्रहरी
अंबेडकरनगर। जिले में आयुर्वेदिक अस्पताल बदहाली से जूझ रहे हैं। इन अस्पतालों की बेहतरी तय करने को लेकर कोई ठोस कार्ययोजना सामने नहीं आ पाई है। नतीजा यह है कि 42 आयुर्वेदिक अस्पतालों में चिकित्सकों के 13 पद रिक्त हैं। फार्मासिस्ट के 8, स्टाफ नर्स के दो पद लंबे समय से खाली हैं। सिस्टर के दो पद हैं, इन पदों पर अब तक तैनाती नहीं हो सकी है। और तो और 9 अस्पताल ऐसे हैं, जो किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं। जिन अस्पतालों के पास अपने भवन है, उनमें से भी कई के भवन जर्जर हो चुके हैं। इन अस्पतालों में समुचित दवाएं भी नहीं हैं। ऐसे में आयुर्वेदिक अस्पतालों में बेहतर इलाज की उम्मीद लेकर जाने वाले मरीजों व उनके तीमारदारों को तगड़ा झटका लग रहा है।
आयुर्वेद पैथी से इलाज कराने वाले मरीजों को बेहतर माहौल नहीं मिल पा रहा है। दरअसल कहीं फार्मासिस्ट के सहारे आयुर्वेदिक अस्पताल संचालित हो रहा है, तो कहीं स्टाफ नर्स के भरोसे। कहीं भवन अत्यंत जर्जर हो चुका है, तो किसी के पास अपना भवन तक नहीं है। इन अस्पतालों में दवाओं का टोटा अलग से बना हुआ है। नतीजा यह है कि मरीजों को इलाज के लिए दूसरी पैथी का सहारा लेने को मजबूर होना पड़ता है। ऐसा तब है, जब आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने की जरूरत पर लगातार बल दिया जा रहा है। इसके बाद भी जिले में इस तरफ जिम्मेदारों की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कुल 42 आयुर्वेदिक अस्पताल संचालित हैं। इनमें 9 अस्पताल सुरहुरपुर, मालीपुर, दिलावलपुर, बनगांव डिहवा, रामपुर महिलक, मराहरा, माुहिउद्दीनपुर, अरिया बाजार, कहरा सुलेमपुर लंबे समय से किराए के भवन में संचालित हैं। विभाग के लिपिक श्रीप्रकाश वर्मा ने बताया कि जिले में आयुर्वेदिक अस्पतालों में चिकित्सकों के कुल 42 पद हैं। इसके सापेक्ष मात्र 29 पदों पर ही चिकित्सकों की तैनाती है। 13 पदों पर अब तक चिकित्सकों की तैनाती नहीं हो सकी है। ऐसे में संबंधित अस्पताल फार्मासिस्ट या फिर स्टाफ नर्स के भरोसे हैं। फार्मासिस्ट के 42 पद सृजित हैं। 8 पदों पर तैनाती नहीं है। स्टाफ नर्स के 6 पद हैं। चार पद पर ही तैनाती है। दो पद रिक्त चल रहे हैं। सिस्टर के दो पद सृजित हैं। इनमें से एक भी पद पर तैनाती अब तक नहीं हो सकी है।
मरीज बोले, डॉक्टरों की कमी दूर कराई जाए
जलालपुर स्थित आयुर्वेदिक अस्पताल में मिले मरीज देवानंद ने कहा कि आयुर्वेदिक अस्पतालों की हालत जिले में ठीक नहीं है। इन्हें लेकर जिम्मेदारी भरा प्रयास होना चाहिए। मरीजों के बैठने तक के लिए कई जगहों पर सुविधाएं नहीं हैं। दवाओं को रखने के लिए भी समुचित व्यवस्था कई जगह नहीं है। अकबरपुर में मिली महिला मरीज कंचन वर्मा ने कहा कि सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों के लिए नए सिरे से भवन का निर्माण कराने की जरूरत है। इन अस्पतालों में आने वाले मरीज व तीमारदार सुकून से बैठ कर इलाज करा सकें, इसका इंतजाम होना चाहिए। चिकित्सकों की कमी दूर किए जाने की जरूरत है। टांडा के मेराजुद्दीन का कहना था कि यह ठीक नहीं है कि देश की सबसे प्राचीन इलाज पद्घति को ही उपेक्षा का शिकार बना दिया गया है। सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों के कायाकल्प का इंतजाम होना चाहिए।
शीघ्र होगी रिक्त पदों पर तैनाती
चिकित्सकों के 13, फार्मासिस्ट के 8, स्टाफ नर्स के 2 व सिस्टर के 2 पद रिक्त हैं। इन पदों पर तैनाती के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। शीघ्र ही शासनस्तर पर रिक्त पदों पर तैनाती कर दी जाएगी। जो संसाधन हैं, उससे मरीजों का समुचित इलाज किया जा रहा है।
डॉ. निशा वर्मा, क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी
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