अंबेडकरनगर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद सड़कों पर घूमने वाले आवारा जानवरों को गोशालाओं में ठूंस ठूंस के भर दिया गया है। जिससे गोशालाओं में अव्यवस्था शुरु हो गई है। गोशाला में क्षमता से अधिक मवेशी होने से वहां अव्यवस्थाओं का दौर है।लेकिन जनपद का शायद ही कोई ऐसा इलाक़ा हो जहां से आए दिन गायों-बछड़ों के मरने की ख़बर न आती हो, वो भी भूख से मरने की. अंबेडकरनगर जनपद के अकबरपुर विकासखंड के सिसवा ग्राम सभा में ऐसे ही एक आश्रय स्थल में गोवंश दम तोड़ने की स्थिति में पड़ी थीं। मीडिया कर्मी द्वारा जानवरों की संख्या जानने का प्रयास ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सचिव सुनील कुमार द्विवेदी से किया गया तो वह गोवंशो की संख्या नहीं बता सके कि हमारी गौशाला में कितने गोवंश मौजूद हैं गौशालाओ में हो रहा बड़ा खेल अम्बेडकर नगर गौशालाओ में गोवँशो की टैगिंग को लेकर बड़ा खेल हो रहा है।वास्तव में गोवँशो की टैगिंग पशु चिकित्सक द्वारा की जाती है जिसमें गौशाला में रहने वाले गोवंश के कान में छल्ला डाला जाता है। इसी से गौशाला में रहने वाले गोवंश की पहचान होती है।इसके बावजूद गौशालाओ में बिना टैगिंग के भी गोवंश रखे जाते हैं जिसके पीछे का राज जानकर चौकना स्वाभाविक है। सूत्रों की माने तो बिना टैगिंग के गौशाला में गोवंश रखे जाने के पीछे गौवंशो की संख्या को यथावत रखना है। यदि गौशाला में कोई गोवंश मृत हो जाता है तो बिना टैगिंग वाले गोवंश की टैगिंग कराकर संख्या को बराबर कर दिया जाता है। जाहिर है कि सरकार की आँख में धूल झोंककर गौशालाओ में बड़ा खेल किया जा रहा है। गांव के कुछ लोगों का ये भी कहना था कि जब भी कोई जांच करने के लिए आता है तो बस खानापूर्ति कर अधिकारी चले जाते हैं।गोशाला के कर्मचारी इस बात का दावा कर रहे थे और हमसे इसे देखने की गुज़ारिश कर रहे थे जो कि सही निकला. हालांकि यहां भी कुछ गोवश बहुत ही दयनीय स्थिति में बैठे थो जो पानी पीने में भी असमर्थ थे लेकिन कर्मचारियों का कहना था कि ऐसा हम लोगों के आने के पहले से यह जानवर इस स्थिति में पड़े हुए हैं।
यहां एक सवाल और महत्वपूर्ण है कि गौशाला में गोवंशो की देखभाल के लिए जगह-जगह देखे जाने वाले प्रभारियों की निगाह बीमारी और भुखमरी की शिकार इन गायों पर क्यों नहीं पड़ती
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know