जौनपुर: जेल में मोबाइल फोन का उपयोग करने वाले बंदियों की अब खैर नहीं होगी। वर्ष 1894 के जेल एक्ट में शासन ने संशोधन कर दिया है। नए प्रविधान के तहत अब जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते पकड़े जाने वाले बंदी को दोष सिद्ध होने पर तीन से पांच वर्ष की कैद होगी। इतना ही नहीं, अदालत 20 से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना भी लगा सकती है। ऐसे में अब उन बंदियों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी जो जेल में चोरी-छिपे मोबाइल फोन का उपयोग कर लेते हैं। प्रदेश की जेलों में मोबाइल फोन के प्रयोग को लेकर आए दिन जो सवाल उठ रहे थे, नई व्यवस्था से इस पर काफी हद तक अंकुश लगने की उम्मीद है।
अंग्रेजों के जमाने के जिला कारागार में अभी तक जैमर नहीं लगा है। प्रस्तावित नए कारागार के चलते ऐसा कोई प्रस्ताव भी नहीं है। जेलों की सुरक्षा को लेकर शासन भी खासा गंभीर है। समय-समय पर जिला कारागार के बैरकों की न्यायिक, प्रशासनिक व पुलिस उच्चाधिकारी तलाशी भी लेते हैं। पूर्व में जिला कारागार में दो-तीन बार मोबाइल फोन बरामद भी हो चुके हैं। संबंधित बंदियों के विरुद्ध लाइन बाजार थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। जेल से फोन कर रंगदारी मांगने का भी प्रकरण सामने आ चुका है। बंदियों को जागरूक कर रहा जेल प्रशासन
नए एक्ट के लागू होने के बाद उसे लेकर बंदियों को जानकारी देकर जागरूक किया जा रहा है। मकसद यह है कि वे ऐसा संज्ञेय अपराध करने से तौबा करें। बंदियों को इस बारे में अच्छे ढंग से समझाया जा रहा है। इसके अलावा जेल के बैरकों पर नजर भी रखी जा रही है।
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जेल प्रशासन समय-समय पर बैरकों की खुद भी तलाशी कराता है। जेल में जैमर नहीं लगा है, लेकिन अन्य ऐसे संसाधन हैं, जिससे मोबाइल फोन या सिमकार्ड अंदर पहुंचने ही न पाए। इसके पीछे मंशा यही है कि जेल में व्यवस्था व अनुशासन बना रहे।
- एसके पांडेय, अधीक्षक जिला कारागार
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