विजयदशमी के अवसर पर शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शस्त्र पूजन कर स्थापना दिवस मनाया। विभिन्न शाखाओं पर स्वयंसेवकों ने परंपरा के अनुसार शस्त्र पूजन किया और समाज सेवा के कार्यों को जारी रखने का संकल्प लिया।आजादी के अमृत महोत्सव के तहत सारनाथ स्थित एक बैंक्वेट हॉल में काशी उत्तर भाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में प्रांत प्रचारक रमेश चंद्र ने कहा कि प्रांत प्रचारक रमेश चंद्र ने कहा कि जो लोग केरल में क्रॉस पहनते हैं और काशी में रुद्राक्ष की माला पहनते हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। आजादी के आंदोलन में आरएसएस ने अहम भूमिका निभाई थी। स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान से भारत के आजादी मिली है। इसे सहेजकर रखना होगा। उन्होंने कहा कि आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उन्होंने एक ऐसे संगठन की नींव रखी जो युवाओं में संस्कार देने का काम कर रहा है। रमेश चंद्र ने कहा कि आरएसएस को लेकर यह दुष्प्रचार किया जाता है कि संघ का आजादी के आंदोलन से कोई नाता नहीं था। जबकि आरएसएस ने स्वतंत्रता सेनानियों की विभिन्न मोर्चों पर मदद की और आजादी के बाद सभी शाखाओं पर स्वतंत्र होने की खुशियां मनाई गई थीं। उन्होंने कहा कि विजयादशमी देश के लिए बलिदान करने वालों का दिन है। आजादी की 75वीं वर्षगांठ का यह उत्सव नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती का अवसर है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के पूर्व साइंटिफिक ऑफिसर प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि आरएसएस ने आजादी के आंदोलन के समय राष्ट्र की अवधारणा रखी। यह संघ की सबसे बड़ी देन है। उन्होंने कहा कि विजयदशमी पर हर व्यक्ति को अपने 10 अवगुणों को पहचानकर उन्हें समाप्त करना चाहिए। कार्यक्रम में गौतम नगर संघ चालक नंदलाल, डॉ. आशीष, राजेश विश्वकर्मा, रजत प्रताप, राहुल, अमित, विष्णु नारायण, विजय, एकल गीत शशांक एवं अमृत वचन विजय ने प्रस्तुत किया। संचालन राहुल ने किया। लाटभैरव, चेतगंज, संत रघुवर नगर, मलदहिया, लंका, जैतपुरा समेत अन्य स्थानों पर उत्सव मनाया गया। प्रेमचंद नगर में स्वयंसेवकों ने पथसंचलन निकाला।

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